वहीं इस नव दंपति का कहना है कि शादी में फिजूलखर्ची का मामला लगातार ज्यादा चल रहा है।अक्सर हम लोग क्या करते हैं, हम हजार लोगों को दावत देते हैं और दावत उन लोगों को देते हैं जो पहले से ही संपन्न होते हैं। हमारा प्रयास है कि समाज में गरीब तबके के लोग इस वजह से अपने बेटियों की शादी नहीं कर पाते।
दहेज के कारण अक्सर ऐसे मामले समाज में देखे जा सकते हैं। इसी की रोकथाम के लिए बिना दान दहेज के दोनों ने अपनी रजामंदी व परिवार की सलाह मशवरा के बाद कोर्ट मैरिज की है। आईएएस नवीन कुमार चंद्र के पिता रामदेव गाजियाबाद में सेतु निगम में अकाउंटेंट हैं और मां स्वर्णलता टीचर हैं। मूलरूप से रायबरेली के रहने वाले रामदेव का कहना है कि जब उनका बेटा आईएएस अधिकारी बना तो उसके लिए दूर-दूर से पांच-पांच करोड़ रुपये तक के रिश्ते आने लगे, लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया। अब उनकी रजामंदी से बिना दान-दहेज के बेेटे ने शादी की है।