आर्थिक संकट से उबरने के लिए प्राधिकरण उपाध्यक्ष राकेश कुमार सिंह मे रात-दिन एक करते हुए वसूली के निर्देश अफसरों को दिए हैं। वसूली टीम की मॉनिटरिंग के लिए सचिव ब्रजेश कुमार, वित्त नियंत्रक अशोक कुमार बाजपेई और अपर सचिव सी. पी. त्रिपाठी को लगाया गया है।
पहले दौर की अधिकारिक मंत्रणा में आला अधिकारियों ने इस बात पर चिंता जताई कि विभिन्न प्रतिष्ठानों व बिल्डर्स से वसूली की रफ्तार निहायत धीमी है। वसूली की धीमी रफ्तार पर उपाध्यक्ष राकेश कुमार सिंह कई बार नाराजगी जता चुके हैं।
फिलहाल की रिकवरी से जीडीए अधिकारियों कर्मचारियों का वेतन वितरण भी दूभर विभागीय सूत्रों कहना कि प्राधिकरण के पास करीब 5000 करोड़ रुपए की अनिस्तारित संपत्तियां हैं। जिन्हें कई प्रयास के बावजूद बेचा नहीं जा सका है। वर्तमान में प्राधिकरण की आय का मुख्य स्रोत संपत्ति की नीलामी कंपाउंडिंग के जरिए प्राप्त होने वाला शमन शुल्क ही है। इन दोनों ही मद में जीडीए को महज 8 से 10 करोड़ रुपए मासिक की आय होती है। जो प्राधिकरण के रखरखाव, कर्मचारियों अधिकारियों के वेतन के लिए भी अपर्याप्त बताई जाती है। सत्र में हुई मंत्रणा की बाबत वित्त नियंत्रक वाजपेई का कहना है कि सभी विभागीय प्रभारियों को बकाया लेनदारी का डाटा तैयार करने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा कि विभागीय प्रभारियों से लिए गए।
डाटा के आधार पर वसूली की रणनीति निर्धारित की जाएगी प्राधिकरण की देनदारी के पिछले आंकड़े बताते हैं कि अपने प्रोजेक्ट पूरे कर चुके अधिकांश बिल्डर्स जीडीए के सबसे बड़े बकाएदार हैं। जिन पर करीब 150 करोड़ रुपए बकाया है। जानकारों का कहना है कि जीडीए के समक्ष मधुबन बापूधाम की भूमि अधिग्रहीत और उसे विकसित करने के लिए लिया गया 800 करोड रुपए का ऋण एक बड़ा बोझ है। बीते एक दशक के दौरान भी यह योजना पूरी तरह से परवान नहीं चढ़ पाई है।