तीमारदार ही ले जा रहे स्ट्रेचर पर टीम ने पाया कि यहां जो भी मरीज आता है और उसे स्ट्रेचर से ले जाने की जरूरत हो तो कोई भी कर्मी नहीं मिलेगा। भ्म को खुद तीमारदार ही स्ट्रेचर लेकर इधर से उधर दौड़ते दिखे। इसके अलावा यहां पर प्यास लगने पर या तो बाहर से पानी की बोतल खरीदो और या फिर घर से ही लेकर आओ क्योंकि आरओ सिस्टम खराब पड़ा है।
सफाई भी नहीं मिली सबसे बड़ी बात यह है कि हॉस्पिटल में जिन मरीजों को ग्लूकोज की बोतल लगाई जाती है, उन्हें भी यदि इधर-उधर जांच के लिए जाना पड़े तो तीमारदार को खुद ही ड्रिप पकड़नी पड़ती है। साथ ही जिला हॉस्पिटल में सफाई के नाम पर भी कुछ नहीं है। टीम को यहां चारों तरफ गंदगी का अंबार ही नजर आया। गुलावठी की रहने वाली महिला ने कहा कि यहां की दवा से आराम नहीं मिलता है। डॉक्टर महंगी दवाइयां बाहर वाले मेडिकल स्टोर से लेने को कहते हैं। सुबह से लाइन में लगे हैं लेकिन अब तक नंबर भी नहीं अाया।
सीएमओ ने कहा, कराएंगे जांच इन सब मामलों को लेकर जब टीम ने सीएमओ एनके गुप्ता से जानकारी ली तो उन्होंने कहा कि यहां स्टाफ की बहुत कमी है। स्टाफ बढ़ाने के लिए शासन को लिखा गया है। आरओ के बारे में उन्होनें कहा कि वो सीएमएस से बात करेंगे और बंद आरओ को भी वहां जाकर ठीक कराएंगे। बाहर से दवा लिखने के सवाल पर उन्होंने कहा कि शासन से आदेश हैं कि जो दवाएं हॉस्पिटल में हैं उन्हें ही पर्चे में लिखा जाए। हॉस्पिटल में सभी दवाएं मौजूद हैं अगर मरीजों को बाहर से दवा लेने को कहा जा रहा है तो इसकी जांच कराई जाएगी।