नोएडा में छापे के बाद मिली थी जानकारी नोएडा (Noida) के सेक्टर-63 में शनिवार को नकली सैनिटाइजर बनाने वाली कंपनी पर छापा मारा गया था। यहां से विभिन्न कंपनियों के नाम से नकली सैनिटाइजर व मास्क बनाए जा रहे थे। कंपनी के मालिक व आरोपियों से पूछताछ के बाद गाजियाबाद में भी नकली सैनिटाइजर बनाने वाली कंपनी का पता चला था। सूचना मिलने के बाद पुलिस और ड्रग विभाग की टीम ने रविवार शाम को बम्हेटा में मानसरोवर पार्क कॉलोनी में छापा मारा। वहां बिना लाइसेंस के सैनिटाइजर बनाया जा रहा था।
90 लीटर सैनिटाइजर बरामद मौके से चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। कंपनी से 90 लीटर बना हुआ सैनिटाइजर, 600 लीटर एल्कोहल, 20 लीटर ग्लिसरीन, करीब 35 हजार प्रिंटेड लेबल, प्लास्टिक की बोतलें, और सैनिटाइजर बनाने के उपकरण बरामद हुए हैं।
मथुरा व औरेया के रहने वाले हैं आरोपी गिरफ्तार किए आरोपियों के नाम अतुल निवासी मानसरावेर कॉलोनी बम्हेटा (गाजियाबाद), विकास निवासी कायमगंज (फरुखाबाद), विवेक निवासी किरकिचियापुर (औरेया) और सुनील निवासी नंगल हरेरा (मथुरा) हैं। वहीं, वीरेंद्र निवासी मानसरावेर कॉलोनी बम्हेटा (गाजियाबाद) और मकान का मालिक रनपाल सिंह निवासी मानसरावेर कॉलोनी बम्हेटा (गाजियाबाद) फरार हो गए। पुलिस के अनुसार, फरार आरोपी वीरेंद्र कुमार की मोहननगर में ओटमैन इंटरनेशनल लैबोरेट्री के नाम से लैब है। कंपनी के नाम से वीरेंद्र अन्य आरोपियों के साथ मिलकर रनपाल के मकान में बिना लाइसेंस के फर्जी सैनीटाइजर बनाने की फैक्ट्री चला रहा था। छापा मारने वाली टीम में गाजियाबाद ड्रग इंस्पेक्टर पूरन चंद व अनिरुद्ध, बागपत के ड्रग इंस्पेक्टर वैभव बब्बर के साथ में कविनगर थाने की पुलिस शामिल रही।
यह किया गया दावा ड्रग इंस्पेक्टर पूरन चंद का कहना है कि फैक्ट्री को वीरेंद्र कुमार चला रहा था। मौके से स्प्रिट व सैनिटाइजर बनाने के लिए लिक्विड मिला है। करीब 10 लाख रुपये का सामान बरामद किया है। फर्जी सैनिटाइजर को ओरटम कंपनी के नाम से बेचा जा रहा था। पांच दिन पहले लिया गया इसका सैंपल प्रथम दृष्टया फेल पाया गया था। सैनिटाइजर की बोतल पर 99.99 प्रतिशत बैक्टीरिया खत्म करने का दावा किया गया है। आरोपियों के पास इसका लाइसेंस भी नहीं था। कोरोना के खौफ को देखते हुए अरोपी करीब दो हजार बोतल गाजियाबाद व आसपास के शहरों में सप्लाई कर रहे थे।
नकली सैनिटाइजर की पहचान करना है मुश्किल बागपत के ड्रग इंस्पेक्टर वैभव बब्बर का कहना है कि यहां बनने वाले सैनिटाइजर में केवल स्प्रिट और अल्कोहल का प्रयोग किया जा रहा था। नकली सैनिटाइजर की पहचान करनी मुश्किल है। इसकी जांच लैब में ही हो सकती है।