आपको बता दें कि 2 अक्टूबर को भारी संख्या में किसान सरकार तक अपनी मांगों कों लेकर दिल्ली के लिए निकले थे, लेकिन गाजियाबाद के यूपी बार्डर पर उन्हें पुलिस नें दिल्ली में एंट्री करने पर रोक लगा दी। जिसकी वजह से यूपी बार्डर पर पुलिस और किसनों के बीच झड़प हुई। पुलिस नें किसानों को रोकने के लिए लाठियां भांजी और आंसू गैस के गोले भी छोड़े। काफी जद्दोजहद के बाद भी किसानों को दिल्ली में नहीं घुसने दिया गया था।
जिसके बाद से किसान केंद्र सरकार से बेहद नाराज है। किसानों का कहना है कि हाल ही में चुनाव के दौरान हुई हार का नतीजा भी किसानों की उपेक्षा किए जाना है। उन्होंने कहा कि शुरुआती दौर में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने कहा था किसान भारत का अन्नदाता है। अन्नदाता को प्रमुखता दी जाएगी, सरकार किसानों के हित में सबसे ज्यादा कार्य करेगी। लेकिन उसका उल्टा ही हुआ इस सरकार में किसानों की सबसे ज्यादा उपेक्षा हो रही है।
इस दौरान राकेश टिकैत और नरेश टिकैत भी मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि किसानों की लगातार मांग करने के बाद भी उनकी बात पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिस तरह 2 अक्टूबर को यह किसानों के साथ पुलिस द्वारा अत्याचार किया गया इससे किसान क्रांति के रूप में मानते हैं और किसानों के नेता महेंद्र सिंह टिकैत ने भी हमेशा किसानों के हितों की लड़ाई लड़ी थी और एक बड़ी क्रांति के रूप में आंदोलन भी किए। अब उन्हीं के पद चिन्हों पर चलते हुए यूपी गेट का नाम बदलकर किसान क्रांति गेट रख दिया है।
इस दौरान नरेश टिकैत और राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार द्वारा यूपी गेट पर भगवान की मूर्तियों की पेंटिंग बनाई जा रही है। जो कि बिल्कुल गलत है, क्योंकि भगवान का स्थान मंदिर के अंदर ही होता है। इसलिए यहां पर भगवान की मूर्ति नहीं बनानी चाहिए और अब यूपी गेट के बजाय इसे किसान क्रांति गेट से जाना जाएगा। उन्होंने कहा कि किसानों के साथ 2 अक्टूबर को ही बर्बरता को किसान इसे क्रांति के रूप में मानते हैं। और इसीलिए इसका नाम किसान क्रांति गेट रखा गया है।