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यूपी गेट बॉर्डर पर पिछले 72 दिन से किसान कृषि कानून को वापस लेने की मांग को लेकर धरने पर बैठे हुए हैं। 6 फरवरी को किसान नेताओं के ने पहले देश भर में जाम किए जाने की बात कही गई थी लेकिन अचानक ही भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने पांच और छह फरवरी को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में जाम ना किए जाने का फरमान जारी किया दिया था। फरवरी को खुद उन्होंने दोपहर तक जाम की कमान संभाली वहीं शाम के वक्त वह घटनास्थल पहुंचे। जहां पर उन्होंने तमाम किसानों को संबोधित किया इस दौरान राकेश टिकैत ने कहा कि यदि सरकार दाे अक्टूबर तक किसान आंदोलन और इस कानून को लेकर कोई हल नहीं निकालती है तो वह अगली रणनीति तय करेंगे।Hashimpura Kand: 34 साल पहले हुए सांप्रदायिक दंगे के 87 वांछितों के गिरफ्तारी वारंट जारी
राकेश टिकैत ने कहा कि अब किसान दिल्ली के बॉर्डर पर लगी कीलों को उखाड़ कर ही वापस जाएंगे। इतना ही नहीं उन्होंने इस दौरान यह भी कहा कि यदि उसके बाद भी कोई हल नहीं निकला तो अब किसान सेना और पुलिस के जवानों को भी आंदोलन में शामिल करेंगे। यानी उनकी तस्वीर लेकर उनके परिवार वाले यहीं बैठे हुए नजर आएंगे। उन्होंने बताया कि दिल्ली- एनसीआर में होने वाले जाम को इसलिए निरस्त किया गया क्योंकि पांच स्थानों पर इस यात्रा को बाधित करने और किसानों को बदनाम करने की साजिश रची जा चुकी थी। यात्रा को रोकने के लिए बकायदा ऐसे लोगों को चुन लिया गया था जिनके हाथों में तिरंगा होता, सिर पर किसान यूनियन की टोपी होती लेकिन उनका मकसद यात्रा को बदनाम करना था। इसलिए जाम को यूपी-उत्तराखंड में नहीं किया गया।