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गाज़ियाबाद

हज हाउस विवाद: कांग्रेस के अलपसंख्यक मोर्चा को भाजपा का करारा जवाब

BJP के अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष जावेद सैफ ने हज हाउस के नाम पर राजनीति करने वालों को जमकर आड़े हाथ लिया है। विरोध करने वाले नेताओं ड्रामेबाज हैं

गाज़ियाबादAug 08, 2017 / 03:13 pm

pallavi kumari

गाजियाबाद. हज हाउस खोले जाने को लेकर कांग्रेस पार्टी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के घरने और उसके बाद हुए बवाल के मामले में अब सत्ता पक्ष से भी करारा जबाव मिलना शुरू हो गया है। बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष एडवोकेट जावेद सैफ ने भी हज हाउस के नाम पर राजनीति चमकाने वालों को जमकर आड़े हाथ लिया है। विरोध करने वाले नेताओं को ड्रामेबाज करार दिया है।
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हज हाउस को दी ये परिभाषा

जावेद सैफ के मुताबिक हाउस हज कमेटी का कार्यालय है जंहा से हज पर जाने वाले जायरीन अपने हज सम्बंधित दस्तावेज व अन्य औपचारिकताएं पूरी कराते है। कुछ समझदार उच्च कोटि बुद्धिजीवी धीरे-धीरे हज हाउस को धार्मिक स्थल का अमली जामा पहनाने पर तुले हैं। जबकि ये एक सरकारी कार्यालय है।
सपा सरकार की तुष्टीकरण की राजनीति

अपनी पोस्ट में दावा किया गया है कि सपा सरकार ने तुष्टीकरण की राजनीति की है। सरकारी धन से कोई इमारत निर्माण करती है तो उस पर सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित होने के बाद सभी डिपार्टमेंटों से अनापत्ति प्रमाण-पत्र लेना होता है। लेकिन सपा की तथाकतिथ वोटों का धुर्वीकरण करने वाली सरकार ने सभी नियमों की अनदेखी कर डूब क्षेत्र में सरकारी हज हाउस की इमारत करोड़ों रुपए खर्च कर के बना दी। ये भी नहीं सोचा की जिन हाजियों के लिए ये इमारत बनाई जा रही है कभी हिंडन का जलस्तर बढ़ा तो लोगों को दिक्कत हो सकती है।

पॉश इलाके में क्यों नहीं दी जमीन
सपा सरकार पर निशाना साधते हुए जावेद सैफ का कहना है कि मुस्लिमों के तथाकतिथ रहबर मुलायम सिंह यादव और पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने राजनगर, कविनगर, वैशाली, कौशाबीं, इंदिरापुरम जैसे पॉश इलाको में जमीन क्यों नहीं तलाशी।
अदालत से बड़ा नहीं है कोई

विरोध करने वालों को लेकर भाजपा नेता का कहना है कि अदालत से बड़ी कोई चीज नहीं है। भारत में इंडियन पिनल कोड के तहत कानून व्यवस्था चलती है। एनजीटी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में किसी वादी ने नियमों के विरुद्ध निर्माण पर सपा सरकार को कटघड़े में खड़ा किया ये भावना शुद्ध है। करोड़ों के बाद भी हम हजारों **** को कैसे डूब क्षेत्र में रुकने दे सकते है जबकि वो सरकार को हज का खर्चा देकर अपनी यात्रा शुरू कर रहे हैं। ये सपा और आगामी सरकारों की जिम्मेदारी है कि किसी भी धर्म के अनुयायी की जिंदगी खतरे में ना पड़े। कोर्ट में मामला विचाराधीन है तब हमे धैर्य के साथ माननीय न्यायलय के आदेश की प्रतीक्षा करनी चाहिए ।
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