प्रदूषण विभाग की मानें तो बुधवार को शाम 5:45 पर लिया गया आंकड़ा 480 के पार पाया गया। जिससे शहर की आबोहवा काफी जहरीली महसूस की गई। वहीं चिकित्सकों की मानें तो उनका कहना है कि पहले की तुलना में इस बार दिसंबर के महीने में सर्दी कुछ ज्यादा है। इसलिए कुछ लोग अलाव जलाने के लिए लकड़ी या वेस्ट मटेरियल जलाते हैं। जिसके कारण प्रदूषण की मात्रा में अधिकता हो जाती है। और यही कारण है कि लोगों को सांस लेने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही चिकित्सकों ने बताया कि इस मौसम में खास तौर से सांस के मरीज और बच्चों एवं बुजुर्गों को सांस लेने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यहीं वजह है कि बुधवार को फिर से अस्पतालों में सांस के मरीजों की संख्या में काफी इजाफा देखने को मिला।
हालांकि प्रशासन की प्रशासन की ओर से गाजियाबाद में प्रदूषण पर रोकथाम के लिए तमाम उपाय किए जा रहे हैं और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा काफी सख्त रुख अपनाते हुए कई बिल्डर्स एवं प्रदूषण फैलाने वाली कई फैक्ट्रियों पर बड़े पैमाने पर कार्रवाई की गई है। बावजूद इसके हवा में फैली जहर की मात्रा दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है।
उधर इस मामले में अपर जिलाधिकारी ज्ञानेंद्र सिंह वर्मा का कहना है कि जिस तरह से एकाएक फिर से गाजियाबाद में प्रदूषण बढ़ रहा है इसे कम करने के लिए अभी कई इलाकों में ऐसी फैक्ट्रियों को चिन्हित किया जाएगा। जिनके कारण प्रदूषण अधिक फैलता है। इसके अलावा शहर में इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा कि लोग वेस्ट मेटेरियल जलाकर सर्दी से बचाव ना करें।