जिले के राजापड़ाव क्षेत्र के आधा दर्जन गांव तो साल के 6 महीने एक-दूसरे से कट जाते हैं। वजह, गौरगांव से सोबिनकछार जाने वाले रास्ते पर सोंढूर नदी बहती है। यहां कोई पुल-पुलिया नहीं है। लोग जान हथेली पर रखकर उफनती हुई नदी को पार करने के लिए मजबूर हैं। राशन लेने के लिए भी लोगों को इस नदी को पार कर दूसरे गांव जाना पड़ता है। सबसे ज्यादा परेशानी डिलिवरी के मामलों में पेश आती है। लेबर पेन सहते हुए भी गर्भवतियां इस नदी को पार कर अस्पताल जाने को मजबूर है। डिलिवरी के बाद लोग नन्ही सी जान को हथेली पर रखकर इसी नदी को पार कर घर लौट रहे हैं।
बिंद्रानवागढ़ विधानसभा से क्षेत्रीय प्रमुख अर्जुन सिंह, नायक और दैनिक राम मंडावी ने कहा, गांव के लोग सालों से सोंढूर नदी पर पुल बनाने की मांग कर रहे हैं। प्रशासन है कि ध्यान ही नहीं देता। मानो हमें परेशानी में ही जीने की आदत है। पुल नहीं होने की वजह से गांव के स्कूली बच्चों को स्कूल आने-जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उफनती नदी पार करते वक्त कई बार बच्चे हादसे का शिकार होने से बचे हैं। इसी तरह इलाज में भी दिक्कत आती है।
राजापड़ाव क्षेत्र से लगे अड़गड़ी, शोभा, शुक्लाभांठा, बरगांव समेत आसपास के कई गांववाले पुल नहीं बनने से परेशान हैं। पड़ताल में पता चला कि प्रशासन ने इस जगह पर पुल-पुलिया बनाने के लिए अब तक शासन को प्रस्ताव ही नहीं भेजा है। ये भी एक बड़ी वजह है कि सोंढूर नही पर आज तक पुल नहीं बन पाया है। जबकि, गांव के लोग पहले भी कई दफे प्रशासन के सामने अपनी परेशानियां बयान कर पुल बनाने की मांग कर चुके हैं।
गांव के लोग कई दफे प्रशासन से गौरगांव से सोबिनकछार के बीच पुल बनाने की मांग कर चुके हैं। ढेरों आवेदन-निवेदन के बाद भी जिला प्रशासन के कानों में जूं नहीं रेंगी। आज इलाके के आधा दर्जन से ज्यादा गांवों को परेशानी झेलनी पड़ रही है तो इसका एकमात्र कारण प्रशासनिक लापरवाही है।
जनक ध्रुव, विधायक, बिंद्रानवागढ़