महिला ने आपबीती सुनाई। इसके बाद शुक्ल ने
गरियाबंद कलेक्टर दीपक अग्रवाल को कॉल किया। उनसे दोषियों पर सत कार्रवाई की बात कही। शुक्ल ने कहा,
छत्तीसगढ़ संकल्प हॉस्पिटल के डॉक्टरो की लापरवाही के चलते आदिवासी महिला के पेट में पल रहे शिशु की मौत हो गई। यह दुखद घटना है। न्याय के लिए परिजन दर-दर भटक रहे हैं। घटना को हतेभर से ज्यादा बीत चुके हैं। फिर भी शासन-प्रशासन मौन है। हॉस्पिटल और दोषियों पर अब तक कार्रवाई नहीं की गई है। दोषियों को बचाने के लिए जांच समिति के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है।
छुरा के इस हॉस्पिटल में पहले भी ऐसी घटनाएं घट चुकी हैं, फिर प्रशासन मौन क्यों है? भाजपा शासन में कानून व्यवस्था इतनी चरमरा गई है कि डॉक्टर की लापरवाही से
आदिवासी महिला के पेट में पल रहे बच्चे की मृत्यु हो जाती है। मामले की कलेक्टर जनदर्शन में शिकायत होती है पर कार्रवाई नहीं होती। क्या यही विष्णु का सुशासन है?
महिला जब चेकअप के लिए गई तो वहां कोई शिशु रोग विशेषज्ञ नहीं था। गर्भ में पल रहे बच्चे के बारे में सोचे-समझे बिना महिला को इंजेक्शन लगा दिया गया। इस लापरवाही पर कार्रवाई क्यों नहीं? पीड़ित परिजनों को जल्द न्याय नहीं मिला तो प्रदर्शन करेंगे।
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