अधिकांश भारतीय पेशेवर इस बदलाव को अपनाने को तैयार हैं। 10 में से सात पेशेवरों ने कहा कि वे एआई के बारे में और अधिक सीखना चाहते हैं, भले ही वे नहीं जानते कि कहां से शुरू करें। वास्तव में, 68 प्रतिशत कार्यबल स्वीकार करता है कि वह पहले से ही अपनी नौकरी में जेनरेटिव एआई का उपयोग कर रहा है, जिनमें से 50 प्रतिशत चैटजीपीटी जैसे एआई उपकरण आज़मा रहे हैं।
रिपोर्ट में पाया गया कि चैटजीपीटी (ChatGPT) के उपयोग में मिलेनियल्स (54 प्रतिशत) सबसे आगे हैं, इसके बाद जेनजेड (46 प्रतिशत) पेशेवर हैं। लिंक्डइन (Linkedin) की इंडिया एडिटोरियल लीड और करियर एक्सपर्ट निर्जिता बनर्जी ने कहा, हालांकि गति प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन लोगों को उन सकारात्मकताओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए देखना उत्साहजनक है जो एआई उनके कामकाजी जीवन में ला सकता है।
उन्होंने कहा, “भारत में 10 में से नौ (90 प्रतिशत) पेशेवरों का मानना है कि एआई अगले पांच वर्षों में टीम का एक अदृश्य साथी होगा और अपने खाली समय के साथ, कई लोग नए कौशल सीखकर, अधिक रचनात्मक और रणनीतिक काम करने पर ध्यान केंद्रित करके खुद में निवेश करना चाह रहे हैं, और अपने पेशेवर नेटवर्क को बढ़ाना चाहते हैं, जो मजबूत करियर बूस्टर हैं।
जब यह बात आती है कि एआई उनके करियर को आगे बढ़ाने में कैसे मदद करेगा, तो लगभग 57 प्रतिशत पेशेवरों ने कहा कि यह उन्हें ज्ञान तक तेजी से पहुंच प्रदान करके काम पर अधिक आत्मविश्वास देगा, जबकि 43 प्रतिशत ने कहा कि वे उस काम पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं जो अधिक मूल्यवद्र्धन करता है जिससेउन्हें जल्दी पदोन्नति मिलेगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में पेशेवर सोचते हैं कि एआई उपकरण के काम में अधिक व्यापक उपयोग शुरू होने के बाद समस्या-समाधान (77 प्रतिशत), संचार (76 प्रतिशत), और रचनात्मकता (76 प्रतिशत) जैसे कौशल अधिक महत्वपूर्ण हो जाएंगे। देश के आधे से अधिक कार्यबल का मानना है कि एआई उनके काम को आसान बना सकता है और इसलिए नौकरी की संतुष्टि (55 प्रतिशत) बढ़ा सकता है और उन्हें अधिक कार्य-जीवन संतुलन (74 प्रतिशत) हासिल करने में मदद कर सकता है।
-आईएएनएस