प्राचीन है हनुमान मंदिर आश्रम के महंत जयश्री बाबा बताते हैं कि वह करीब 35 वर्ष से इस आश्रम पर सेवा कर रहे हैं। यह आश्रम उन्हें सतयुग के समीप का प्रतीत होता है। इस मंदिर में प्राचीन हनुमान जी की मूर्ति है तो काफी समय पहले की प्रतीत होती है। आश्रम पर भगवान शिव का मंदिर बना है। बाबा जयश्री बताते हैं कि मंदिर में शनिदेव की प्रतिमा जमीन से खुदाई के समय प्राप्त हुई थी। जिसे मंदिर में ही स्थापित कराया गया है।
निराश्रितों को मिलता है आश्रय इस आश्रम पर निराश्रितों को आश्रय मिलता है। आश्रम पर आने वाले लोगों के भोजन और रूकने की व्यवस्था भी है। मंदिर पर काफी संख्या में श्वान रहते हैं जो मंदिर की देखरेख करते हैं। इस मंदिर पर दिन प्रतिदिन श्रद्धालु अपनी समस्या लेकर बाबा जयश्री के पास आते हैं। शरण में आने वालों की समस्या के निदान के लिए बाबा द्वारा पूजन पाठ कराया जाता है। लोगों के सहयोग से मंदिर पर आने वाले श्रद्धालुओं के खाने-पीने और रहने की व्यवस्था की जाती है।
आश्रम में हैं दो दर्जन से अधिक गायें बाबा जयश्री के आश्रम पर करीब दो दर्जन से अधिक गायें रहती हैं। इन गायों की देखरेख के लिए ग्रामीण स्वयं ही आश्रम पर पहुंच जाते हैं। रास्ता न होने के कारण श्रद्धालुओं को खेतों से होकर आश्रम तक पहुंचना पड़ता है।
गुफा में होते हैं माता के दर्शन मंदिर में प्राचीन गुफा है। इस गुफा के अंदर बाबा जयश्री अपना भजन कीर्तन और ईश्वर की आराधना करते हैं। इस गुफा के अंदर बैठकर ही बाबा जयश्री भक्तों के संकटों को दूर करने का काम करते हैं। सुबह 10 बजे से लेकर दोपहर एक बजे तक बाबा गुफा के अंदर ही रहते हैं।