फिरोजाबाद जिले की तहसील टूंडला से करीब छह किलोमीटर दूर स्थित गांव पचोखरा में सभी वर्गों के लोग निवास करते हैं। इसी गांव में स्थित है 1008 मुनि सुव्रतनाथ मंदिर। जिसकी ख्याति डेढ़ दशक में दूर-दूर तक फैल गई। मंदिर कमेटी के मंत्री विजय चन्द्र जैन बताते हैं कि शनि अमावस्या के दिन इस जैन मंदिर में लोगों को पैर रखने तक को जगह नहीं मिलती। ऐसा मानना है कि शनिदेव के प्रकोप से बचने में मुनि सुव्रतनाथ भगवान मदद करते हैं। जो भी व्यक्ति सात, 11 या 21 शनिवार यहां आकर पूजा अर्चना करता है, उसके ऊपर से शनिदेव की कुदृष्टि समाप्त हो जाती है। यही कारण है कि मंदिर में प्रत्येक शनिवार को काफी संख्या में लोग पूजा अर्चना करने आते हैं।
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, चंडीगढ समेत कई राज्यों से भक्तजन यहां आते हैं। मंदिर को ऐतिहासिक बनाए जाने के लिए मंदिर में ढाई साल से नक्काशी का कार्य चल रहा है। वंशी पहाड़पुर पत्थर से मंदिर को बनाने का काम कराया गया। फतेहपुर सीकरी आगरा के कारीगरों द्वारा पत्थरों पर अद्भुत नक्काशी की गई है।
मुनि सुव्रतनाथ मंदिर से कई किवदंतियां भी जुड़ी हैं। श्रद्धालु बताते हैं शिखर निर्माण के उपरांत करवा चौथ की रात्रि को आकाश से एक अग्नि समान तेज शिखर में आकर समाहित हो गई थी। मंदिर का छत्र कई घंटे तक स्वत: ही हिलता रहा। जैन समाज के लोगों का कहना है 27 दिसंबर 2008 को मंदिर में प्रतिमाएं गीली थी तथा दीवारों से पानी बह रहा था। जिससे ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो भगवान का अभिषेक किया गया हो।