अभी तक नहीं मिले आवास
भले ही मोदी सरकार हर वर्ष गरीबों का चयन कर उन्हें आवास देने का दम भरती हो लेकिन अभी भी काफी संख्या में गरीबों को छत मुहैया नहीं हो सकी है। नारखी क्षेत्र के अधिकतर गांवों में आज भी महिलाओं का दम धुएं में घुट रहा है। परिवार के लिए सुबह होते ही महिलाएं चूल्हे पर रोटी सेंकने में लग जाती हैं। सरकार की उज्जवला योजना का लाभ लोगों को नहीं मिल पाया है।
नरेन्द्र मोदी के एक बार फिर प्रधानमंत्री बनने के बाद लोगों में आस जगी है कि उन्हें सरकार की योजनाओं का लाभ मिलेगा। गांव बास दानी निवासी 56 वर्षीय त्रिवेणी देवी कहती हैं कि उन्हें न तो गैस चूल्हा मिला और न रहने को मकान ही। आज भी वह एक टीन के नीचे रहकर जीवन यापन कर रही हैं। सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही।
टूंडला निवासी देवदत्त शर्मा कहते हैं कि मोदी सरकार की आयुष्मान भारत योजना में उनके परिवार के किसी भी सदस्य का नाम नहीं है जबकि सरकारी नौकरी करने वालों के पूरे परिवार के नाम इस योजना में शामिल हैं। वहीं ज्ञानेन्द्र उपाध्याय कहते हैं कि आयुष्मान भारत योजना में अधिकतर अपात्र लोगों के नाम शामिल किए गए हैं। पात्र लोगों को इस लिस्ट से बाहर रखा गया है। उनके पास न तो जमीन है और न सरकारी नौकरी ही। मेहनत मजदूरी करके वह परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं। इसके बाद भी उनके परिवार का नाम इस लिस्ट में शामिल नहीं किया गया है।
आयुष्मान भारत योजना में नाम न शामिल होने वाले लोगों ने मोदी सरकार से पात्र व्यक्तियों का चयन कर उनका नाम लिस्ट में शामिल कराए जाने की मांग की है। जिससे गरीबों को इस योजना का लाभ मिल सके। अपात्रों के स्थान पर पात्र व्यक्तियों का चयन किया जाना चाहिए। तभी सरकार की योजना सार्थक हो सकेगी।