होली फैमिली चर्च की दास्तां कई दशक पुरानी है। स्टेशन के समीप होने के कारण अधिकतर ईसाई समाज के यात्री भी इसी चर्च में आकर पूजा अर्चना करते हैं। अंग्रेजी हुकूमत के समय में बना चर्च आज भी यादगार है। रख रखाव और मरम्मत कार्य के चलते चर्च की दीवारें आज भी चमक रही हैं।
चर्च का निर्माण अन्य चर्चाे की भांति ही है। अंग्रेजी हुकूमत के समय बने इस चर्च में अंग्रेजों ने अंग्रेजी का प्रयोग किया है। वास्तुकला के हिसाब से चर्च का प्रवेश द्वारा दक्षिण दिशा की ओर यानि रेलवे स्टेशन की ओर है। रेलवे स्टेशन की ओर से आने वाले यात्रियों के बाहर निकलते ही चर्च का मुख्य द्वार दिखाई देता है, जिसमें ईसाई समाज के लोगों द्वारा पूजा अर्चना की जाती है।
क्रिसमस का त्योहार चर्च में बड़ी ही धूमधाम और हर्षाेल्लास के साथ मनाया जाता है, जिसे लेकर तैयारियां पहले से ही शुरू हो जाती हैं। चर्च में 24 दिसंबर की रात नौ बजे कार्यक्रम शुरू होता है जो 25 दिसंबर की देर शाम तक चलता रहता है। इस दौरान चर्च को विद्युत झालरों से सजाया जाता है। वहीं चर्च में प्रत्येक रविवार को ईसाई समुदाय द्वारा विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
चर्च का इतिहास 160 वर्ष पुराना है। चर्च की नींव सन् 1856 में अंग्रेजों ने रखी थी। मुख्य स्टेशन होने के कारण अंग्रेजों का टूंडला आवागमन अधिक माना जाता है। जिसके चलते अंग्रेजों द्वारा ही इस चर्च की स्थापना की गई और वर्ष 1860 में पूरा चर्च बनकर तैयार हो गया था। तभी से चर्च अस्तित्व में आने लगा था।
क्राइस्ट द किंग इंटर कॉलेज टूंडला के प्रधानाचार्य व चर्च के पदारी फादर एन्ड्रयू कोरिया कहते हैं कि भगवान ईशू के जन्मदिन को शांति, एकता और भाईचारे के रूप में मनाया जाता है। आयोजन में ईसाई समाज के अलावा सभी धर्माे के लोग शामिल होते हैं। जो आपसी द्वेष भावना भुलाकर आपस में प्रेम भावना जागृत करने की प्रार्थना करते हैं। इस चर्च के करीब 150 सदस्य हैं। जो प्रत्येक रविवार को यहां प्रार्थना करने आते हैं। उन्होंने बताया कि होली फैमिली चर्च नगर के सुभाष चौराहा से करीब दो किलोमीटर दूर स्टेशन रोड पर है। आगरा या फिरोजाबाद रोड से आने वाले लोगों को सुभाष चौराहे से ऑटो लेकर चर्च तक पहुंचना होता है। वहीं ट्रेन से आने वाले लोगों को स्टेशन से बाहर निकलते ही सामने चर्च दिखाई दे जाएगा। चर्च पहुंचने के लिए 24 घंटे आवागमन की व्यवस्था है।