इन्हें थी उम्मीद
फाइनेंशियल सर्विसेज के आनंद राठी को उम्मीद थी कि राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिए विनिवेश लक्ष्य को 90 हजार करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1.10 लाख करोड़ रुपये किया जा सकता है। वहीं, केयर रेटिंग्स का अनुमान था कि सरकार विनिवेश लक्ष्य को बढ़ाकर 1 लाख करोड़ रुपये से लेकर 1.20 लाख करोड़ रुपये कर सकती है।
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पिछले वित्त वर्ष में लक्ष्य से 6.2 फीसदी अधिक पूंजी जुटाया गया था
हालांकि, कई जानकार इस बात से भी सहमत दिखाई दिए सरकार विनिवेश को लेकर आक्रामक रुख अपना सकती है, लेकिन लक्ष्य को 90 हजार करोड़ रुपये के स्तर पर ही बरकरार रखेगी। वित्त वर्ष 2018-19 के लिए सरकार ने विनिवेश का लक्ष्य 80,000 करोड़ रुपये रखा था। वित्त वर्ष खत्म होने के बाद सरकार के पास लक्ष्य से 6.2 फीसदी अधिक यानी 85 हजार करोड़ रुपये विनिवेश के रूप में आये थे।
ऐसे पूरा हुआ था विनिवेश का लक्ष्य
पिछले साल सरकार ने तीन कंपनियों के IPO के जरिए भी पैसा जुटाया। इनमें RITES, IRCON International, और गार्डेनरीच शिपबिल्डर्स थी। CPSE ETF के जरिए भी सरकार 17,000 करोड़ रुपये जुटाने में कामयाब रही। Bharat ETF 22 के जरिए भी सरकार ने 8,325 करोड़ रुपये जुटाया था। कई पीएसयू कंपनियों ने शेयर बायबैक की मदद से भी पैसे जुटाये। इनमें नाल्को, भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स, कोचिन शिपयार्ड, KIOCL और NLC शामिल थीं।
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सरकार कहां से जुटाएगी पूंजी
अनुमान के मुताबिक, सरकार कुछ पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स के शेयर बेचकर पैसे जुटाएगी। इन कंपनियों की लिस्ट में कोल इंडिया, पीएसयू जनरल इंश्योरर जैसी कंपनियां है। इसके अतिरिक्त, पूंजी के लिए सरकार की नजर भारतीय रेल, एअर इंडिया और सरकारी पोर्ट्स की कुछ संपत्तियों को बेच सकती है। हालांकि, कुछ जानकारों का यह भी मानना है कि सरकार CPSE ETF के जरिए भी पैसे जुटाने का प्रयास करेगी।
क्या होता है विनिवेश
जब आप किसी कारोबार में पैसे लगाते हैं तो उसे निवेश कहा जाता है। वहीं, इसके उलट जब आप उस रकम को वापस निकालते हैं तो उसे विनिवेश कहते हैं। सरकार कई तरीके से कंपनियों की संपत्तियों और शेयरों में निवेश करती है। विनिवेश प्रक्रिया के तहत सरकार यह संपत्ति या शेयर किसी अन्य को बेचकर दूसरी योजनाओं पर खर्च करने के लिए पूंजी जुटाती है। विनिवेश को एक अन्य उद्देश्य यह भी है सरकारी कंपनियों का बेहतर प्रबंधन हो सके।
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