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ऐसे हुआ था माता सीता का जन्म
फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मिथिला नरेश राजा जनक और रानी सुनयना को सीताजी की प्राप्ति हुई थी । रामायण ग्रंथ के अनुसार एक समय मिथिला में भयानक अकाल पड़ा उसे दूर करने के लिए राजा जनक को ऋषियों के कहने पर खेत में हल चलाते समय हल के नीचे एक घड़ा मिला जिसमें एक कन्या मिली, उस समय राजा जनक की कोई संतान नहीं थी, इसीलिए राजा ने कन्या अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार कर जानकी सीता नाम देकर पालन पोषण किया। बाद में देवी सीता का विवाह अयोध्या के राजा दशरथ के बड़े पुत्र श्रीराम के साथ सम्पन्न हुआ, जो स्वयं माता महालक्ष्मी का अवतार थी।
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ऐसे करे जानकी जयंती पर माता की पूजा
सीताजी की मूर्ति या तस्वीर या फिर रामदरबार की स्थापना एक लाल रंग के आसन पर करे, माता को पीले फूल अर्पित करें, सोलह श्रृंगार का सामान चढ़ाएं। पंचोपचार पूजन करने के बाद इन दोनों मंत्रों का जप 108 + 108 बार जरूर करें।
मंत्र-
1- ।। ऊँ श्री सीतायै नमः।।
2- ।। ऊँ श्री सीता-रामाय नमः।।
पूजन के लिए उत्तम समय सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक का हैं। अगर इस दिन विवाहित महिलाएं वैवाहिक जीवन की समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए करती है तो उनका जीवन सुखमय बन जाता है।
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