कृष्णकमल का फूल
श्रीकृष्ण का सबसे प्रिय फूल है कृष्णकमल। इस फूल के ऊपर तीन कलियां होती हैं। इन तीन कलियों को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माना गया है। ये बेहद दुर्लभ और चमत्कारी फूल माना गया है। माना जाता है कि फुलेरा दूज पर श्री कृष्ण की पूजा कृष्णकमल के फूल से की जाए, तो व्यक्ति को हर क्षेत्र में तरक्की, उन्नति मिलती है।
कुमुदिनी का फूल
मान्यता है कि फुलेरा दूज पर राधा-कृष्ण की पूजा-अर्चना पांच कुमुदिनी के फूलों से की जाए, तो पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
वैजयंती के फूल
वैजयंती के फूलों का विशेष महत्व बताया गया है। इन्हें बहुत सौभाग्यशाली माना गया है। श्रीकृष्ण हमेशा वैजयंती फूलों के बीजों से बनी माला पहनते हैं। माना जाता है कि फुलेरा दूज पर श्रीकृष्ण को वैजयंती के फूल चढ़ाने से आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं। कभी भी धन की कमी नहीं रहती। वहीं वैजयंती के फूलों से श्री कृष्ण की पूजा करने से ग्रहों के अशुभ प्रभाव भी दूर हो जाते हैं।
हरसिंगार या पारिजात के फूल
मान्यता है कि एक पीले कपड़े में पारिजात के 7 फूलों के साथ हल्दी की गांठ बांधें और फिर इसे कान्हा के चरणों में अर्पित करें। ऐसा करने से विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं और विवाह के योग बनने के साथ ही सुयोग्य वर या वधु की प्राप्ति का सौभाग्य मिलता है।
रजनीगंधा के फूल
माना जाता है कि रजनीगंधा का फूल भी कृष्ण कन्हैया को बेहद प्रिय है। मान्यता है कि फुलेरा दूज के दिन घर के पूर्व या उत्तर दिशा में इसे लगाने से घर में बरकत आती है। वहीं यदि श्री कृष्ण को पूजा में इन फूलों को अर्पित किया जाए, तो पति-पत्नी के रिश्ते मजबूत होते हैं।
वनमाला के फूल
श्री कृष्ण के प्रिय फूलों में वनमाला के फूल भी शामिल हैं। फुलेरा दूज के दिन गुलाल के साथ कान्हा को वनमाला के फूल की माला पहनाना चाहिए। फिर राधा रानी को भी वनमाला के फूल चढ़ाने चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से प्रेम संबंधों में मधुरता बनी रहती है। कभी भी रिश्ते में तनाव नहीं आता।