दरअसल पौष माह की कृष्ण पक्ष को पड़ने वाली सफला एकादशी Safla Ekadashi इस वर्ष 2020 में नहीं पड़ेगी। इसका कारण यह है कि तिथि आगे चले जाने के कारण अब ये एकादशी 09 जनवरी 2021 में पड़ रही है, जिसके चलते 2021 में दो सफला एकादशी Safla Ekadashi पड़ेंगी। पहली सफला एकादशी 09 जनवरी 2021, शनिवार को जबकि दूसरी 30 दिसंबर 2021,गुरुवार को पड़ेगी।
ऐसे समझें सफला एकादशी Safla Ekadashi …
पौष माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी कहा जाता है। सफला का अर्थ है सफलता, मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से सारे कार्य सफल हो जाते हैं, इसलिए इसे सफला एकादशी कहा गया है। इस दिन भगवान अच्युत की पूजा की जाती है।
1. सफला एकादशी का व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं को इस दिन भगवान अच्युत की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। इस व्रत की विधि इस प्रकार है-
2. प्रातःकाल स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेकर भगवान को धूप, दीप, फल और पंचामृत आदि अर्पित करना चाहिए।
3. नारियल, सुपारी, आंवला अनार और लौंग आदि से भगवान अच्युत का पूजन करना चाहिए।
4. इस दिन रात्रि में जागरण कर श्री हरि के नाम के भजन करने का बड़ा महत्व है।
5. व्रत के अगले दिन द्वादशी पर किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराकर, दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करना चाहिए।
: एकादशी के दिन बिस्तर पर नहीं, जमीन पर सोना चाहिए।
: मांस, नशीली वस्तु, लहसुन और प्याज का सेवन का सेवन न करें।
: सफला एकादशी की सुबह दातुन करना भी वर्जित माना गया है।
: इस दिन किसी पेड़ या पौधे की की फूल-पत्ती तोड़ना भी अशुभ माना जाता है।
सफला एकदशी का महत्व धार्मिक ग्रंथों में धर्मराज युधिष्ठिर और भगवान कृष्ण के बीच बातचीत के रूप में वर्णित है। मान्यता है कि 1 हजार अश्वमेघ यज्ञ मिल कर भी इतना लाभ नहीं दे सकते जितना सफला एकदशी का व्रत रख कर मिल सकता हैं। सफला एकदशी का दिन एक ऐसे दिन के रूप में वर्णित है जिस दिन व्रत रखने से दुःख समाप्त होते हैं और भाग्य खुल जाता है। सफला एकदशी का व्रत रखने से व्यक्ति की सारी इच्छाएं और सपने पूर्ण होने में मदद मिलती है।
प्राचीन काल में चंपावती नगर में राजा महिष्मत राज्य करते थे। राजा के 4 पुत्र थे, उनमें ल्युक बड़ा दुष्ट और पापी था। वह पिता के धन को कुकर्मों में नष्ट करता रहता था। एक दिन दुःखी होकर राजा ने उसे देश निकाला दे दिया लेकिन फिर भी उसकी लूटपाट की आदत नहीं छूटी।