यहां जानें गुड फ्राइडे का सच
गुड फ्राइडे को ब्लैक फ्राइडे, ग्रेट फ्राइडे और होली फ्राइडे जैसे नामों से भी जाना जाता है। इतिहास गवाह है कि यहूदी शासकों ने यीशु को कई शारीरिक और मानसिक यातनाएं दीं। माना जाता है कि जिस दिन प्रभु यीशु को लकड़ी के क्रॉस बने हुए सूली पर लटकाया गया था, वह दिन शुक्रवार का दिन था। सूली पर लटकाए जाने और यातनाएं देने के बावजूद यीशु ने अपने आखिरी शब्दों में यही कहा कि, ‘हे ईश्वर इन्हें क्षमा करें, क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं।’ हे पिता! मैं अपनी आत्मा को तेरे हाथों में सौंपता हूं।’ मृत्यु के पहले भी यीशु के मुख से आखिरी बार क्षमा और कल्याण के संदेश ही निकले।
जानें यीशु को क्यों चढ़ाया गया था सूली पर
ईसाई धर्म के पवित्र ग्रंथ बाइबल के मुताबिक प्रभु यीशु मानव जाति के कल्याण के लिए प्रेम, ज्ञान और अंहिसा का संदेश देते थे। ऐसे में जीजस क्राइस्ट यानी ईसा मसीह या यीशु के प्रति लोगों का लगाव बढ़ता जा रहा था। यीशु की बढ़ती लोकप्रियता से यहूदियों को ठेस पहुंचने लगी। उन्हें लगने लगा कि यीशु की लोकप्रियता के कारण कहीं उनकी सत्ता उनसे छिन न जाए। इसीलिए यहूदियों ने यीशु को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताडि़त किया और उन्हें सूली पर चढ़ा दिया गया। मानव जाति के कल्याण के लिए यीशु ने अपने जीवन का बलिदान दे दिया।
यहां जानें गुड फ्राइ डे का महत्व
गुड फ्राइडे से पहले ईसाई धर्म के लोग पूरे 40 दिन तक उपवास रखते हैं। कुछ लोग केवल गुड फ्राइडे के दिन उपवास रखते हैं। इसे ही लेंट कहा जाता है। गुड फ्राइ डे के दिन चर्च की साज-सजावट की जाती है और विशेष प्रार्थना का आयोजन किया जाता है। इस दिन लोग काले रंग के कपड़े पहनकर चर्च जाते हैं, शोक जताते हैं और यीशु से अपने गुनाहों के लिए भी क्षमा प्रार्थना करते हैं।