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Geeta Jayanti 2020: गीता जयंती 25 दिसंबर को, जीवन का सार है ये महाग्रंथ

गीता: अज्ञानता के अंधकार को मिटाकर आत्मज्ञान से भीतर को करती है रोशन…

Dec 22, 2020 / 06:53 pm

दीपेश तिवारी

geeta jayanti will celebrate on december 25 2020

geeta jayanti will celebrate on december 25 2020

गीता जयंती प्रत्‍येक वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्‍लपक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। मान्यता के अनुसार मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को ही भगवान श्रीकृष्ण ने संसार को गीता का उपदेश दिया था। इस वजह से इस तिथि को गीता जयंती के रूप में मनाते हैं।

जानकारों के अनुसार आज से करीब 5 हजार साल पहले द्वापर युग के दौरान कुरुक्षेत्र में श्रीकृष्‍ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। उसी दिन योगेश्‍वर ने अर्जुन के ज्ञानचक्षु खोले, इसलिए इस दिन को गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में इस बार मोक्षदायिनी एकादशी यानी कि गीता जयंती 25 दिसंबर को मनाई जाएगी।

मोक्षदा एकादशी के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को मोह भंग करने के लिए मोक्ष दायिनी भगवत गीता का उपदेश दिया था। इसलिए इस दिन श्री गीता जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष गीता जयंती 25 दिसम्बर शुक्रवार सन् 2020 ई. को मनाई जाएगी।

इस वर्ष मोक्षदा एकादशी 25 दिसंबर दिन शुक्रवार को है। मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ने वाली एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से व्यक्ति को लोभ, मोह, माया आदि से मुक्ति मिलती है। उसे अंत समय में मोक्ष की भी प्राप्ति होती है।

श्रीगीता- जयंती के विषय में ज्योतिष के जानकार पंडित सुनील शर्मा का कहना है कि द्वापर युग में मार्गशीर्ष महीने के शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि ही वह शुभ दिन था,जब श्रीकृष्ण भगवान ने अपने प्रिय शिष्य और फुफेरे भाई अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। तभी से इस तिथि को गीता एकादशी के रूप में मनाया जाता है।

कुरुक्षेत्र की वह पावन भूमि, जहां स्वयं श्रीहरि के मुख से गीता के रूप में जीवन का ज्ञान प्रकट हुआ, वर्तमान समय में हरियाणा राज्य में है। गीता का ज्ञान मानव जीवन के लिए द्वापर युग में जितना आवश्यक था, उतना ही प्रभावी आज भी है।

गीता अज्ञानता के अंधकार को मिटाकर आत्मज्ञान से भीतर को रोशन करती है। अज्ञान, दुख, मोह, क्रोध, काम, लोभ आदि से मुक्ति का मार्ग बताती है गीता मात्र एक ग्रंथ नहीं है, बल्कि वह अपने आप में एक संपूर्ण जीवन है,इसमें पुरुषार्थ व कर्तव्य के पालन की सीख है।

गीता के अध्ययन, श्रवण, मनन-चिंतन से जीवन में श्रेष्ठता का भाव आता है। लेकिन इसके संदेश में मात्र संदेश नहीं हैं बल्कि ये वो मूल मंत्र हैं जिन्हें हर कोई अपने जीवन में आत्मसात कर पूरी मानवता का कल्याण कर सकता है। इस दिन अथवा प्रतिदिन गीता का पाठ करने से भगवान विष्णु के दर्शन का पुण्य प्राप्त होता है। ऐसे में व्यक्ति की आत्मा मृत्यु के पश्चात परमात्मा के स्वरूप में विलीन हो जाती है। अर्थात मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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