सभी मंत्रों का राजा है 24 अक्षरों वाला गायत्री महामंत्र
।। ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्यः धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात ।।
सदज्ञान और सदबुद्धि की वृद्धि करती है मां गायत्री
गायत्री साधना से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है, 24 अक्षरों वाले इस वेद मंत्र में अद्वतिय शक्ति है। जो व्यक्ति नियमित ब्रह्ममुहूर्त में गायत्री मंत्र का जप, साधना, उपासना करता है मां गायत्री उसके सभी कष्ट हर लेने साथ साधक के भीतर देवत्व की स्थापना कर सदज्ञान और सदबुद्धि की वृद्धि करती है।
वेद वाणी
अथर्ववेद में कहा गया कि गायत्री मंत्र जप से आयु, प्राण, प्रजा, पशु, कीर्ति, धन एवं ब्रह्मवर्चस आदि सात प्रतिफल स्वतः ही प्राप्त हो जाते हैं। जो भी मनुष्य विधिपूर्वक श्रद्धा, विश्वास और पूर्ण पवित्रता के साथ गायत्री उपासना करते हैं मां गायत्री उनके ऊपर एक रक्षा कवच का निर्माण कर विपत्तियों के समय उसकी रक्षा करते हुए, अंत में साधक को ब्रह्मलोक यानी की अपनी शरण में ले लेती है।
मां गायत्री की महिमा अपरम्पार है
इस सदी में गायत्री मंत्र, गायत्री यज्ञ, एवं सर्व सुलभ साधना को जन-जन तक पहुंचाने वाले युगऋषि आचार्य श्रीराम शर्मा जी ने लिखा है- महामंत्र जितने जग माही, कोऊ गायत्री सम नाही। अर्थात- अन्य सभी मंत्रों की उत्पत्ति भी गायत्री के गर्भ से ही हुई है इसलिए मां गायत्री को वेदमाता और गायत्री मंत्र को सभी मंत्रों का राजा एवं गुरू मंत्र कहा गया है।
गायत्री मंत्र की साधना
वेदों में तो यहां तक कहा गया है कि गायत्री मंत्र की साधना करने से सभी मंत्रों के जपने का लाभ स्वतः ही मिल जाता है, ब्रह्मर्षि विश्वामित्र जी को गायत्री का प्रथम ऋषि कहा जाता है जिन्होंने गायत्री मंत्र की साधना के बल पर दूसरी सृष्टि का निर्माण किया था।
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