वहीं ज्योतिष के जानकारों के अनुसार इस बार नक्षत्रों के राजा पुष्य दो दिन 25 घंटे 57 मिनट तक रहेंगे। साथ ही इस दौरान गुरु पुष्यामृत महायोग का निर्माण भी हो रहा है। वहीं सामान्यत: दीपपर्व की खरीदारी इसी महामुहूर्त में की जाती है। इस नक्षत्र में चर, स्थिर, शांति पौष्टिक आदि सभी शुभ कार्य होते हैं।
ऐसे में इस साल शुभता व स्थिरता प्रदान करने वाला पुष्य नक्षत्र गुरुवार व शुक्रवार को होने से गुरुपुष्यामृत महायोग के नाम से जाना जाएगा। ज्योतिष के जानकार एके शुक्ला के अनुसार, इस साल बन रहा महामुहूर्त गुरु पुष्य नक्षत्र 60 साल बाद शनि-गुरु की युति में बन रहा है।
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दरसअल बृहस्पतिवार, 28 अक्टूबर को मकर राशि में शनि-गुरु की युति रहेगी। ऐसे में इस दिन यानि बृहस्पतिवार को 6.33 AM से 9.42 AM तक सर्वार्थ सिद्धि योग भी बनेगा।
ग्रह गोचर में पुष्य नक्षत्र के स्वामी और उपस्वामी की युति लगभग 60 साल बाद बन रही है। इससे पहले साल 1961 में यह दुर्लभ संयोग बना था।
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दो दिन मे 1557 मिनट तक का शुभमुहूर्त
दीपपर्व के 6 दिन पहले यानि गुरुवार, 28 अक्टूबर के खरीदारी का महामुहूर्त पुष्य सुबह 9.40 बजे से शुरू होगा, जो दूसरे दिन शुक्रवार को सुबह 11.37 बजे तक रहेगा। इस प्रकार यह दो दिन में 1557 मिनट तक रहेगा।
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राशि अनुसार यह खरीदें
मेष: स्वर्ण आभूषण, स्वर्ण पात्र, वस्त्र व सोने के सिक्के।
वृषभ: चांदी के सिक्के, बर्तन, हीरे के आभूषण, वस्त्र तथा वाहन।
मिथुन: वस्त्र, चांदी के सिक्के, वस्त्र, वाहन व हीरे के आभूषण।
कर्क: चांदी के सामान। हीरा, स्वर्ण आभूषण, धार्मिक पुस्तक।
सिंह: स्वर्ण आभूषण, सिक्के, कलम, पुस्तक, स्वर्ण पात्र।
कन्या: वस्त्र, चांदी के सिक्के व बर्तन, वाहन, इलेक्ट्रॉनिक सामान।
तुला: हीरे की अंगूठी, चांदी के सिक्के, वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक सामान।
वृश्चिक: स्वर्ण आभूषण, वस्त्र, सोने के सिक्के, धार्मिक पुस्तक।
धनु: धार्मिक पुस्तक, कलम, स्वर्ण आभूषण, सोने के सिक्के
मकर: वाहन, वस्त्र, चांदी के सिक्के व बर्तन, हीरे के आभूषण।
कुंभ: वस्त्र, वाहन, हीरे के आभूषण, टीवी, चांदी के सिक्के व आभूषण।
मीन: धार्मिक पुस्तक, कलम, स्वर्ण आभूषण, सोने के सिक्के, कलम व वाहन।