लोक आस्था के महापर्व छठ के चौथे दिन रविवार की सुबह देश के अलग-अलग हिस्सों में नदी, तालाबों, नहरों पर बने घाटों पर जाकर व्रतियों ने सूर्य देव को दूसरा अर्घ्य दिया और छठी मैया की पूजा के साथ यह पर्व संपन्न हो गया।
छठ पर्व के चौथे एवं अंतिम दिन तड़के ही उगते सूरज को अर्घ्य देने के लिए व्रती और उनके परिजन अपने घरों से पूजा सामग्रियों के साथ घाटों पर पहुंचे और घुटने तक पानी में खड़े होकर व्रतधारियों ने सूप, बांस की डलिया में मौसमी फल, गन्ना सहित पूजन सामग्री और गाय के दूध से भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया और सुख समृद्धि की कामना की।
इसके बाद छठ व्रतियों ने प्रसाद ग्रहण किया और इसी के साथ ही व्रत और उपवास का चार दिनों तक चलने वाला यह पर्व संपन्न हो गया। प्रकृति पूजन के महापर्व छठ के अवसर पर पूरे देश में लोगों के बीच धार्मिक श्रद्धा और उत्साह का माहौल देखने को मिला। बिहार-झारखंड समेत पूरे देश में छठ महापर्व को लेकर खास उत्साह देखने को मिला। इस दौरान छठ पूजा के पारंपरिक गीत गूंजते रहे।
बता दें कि छठ का पर्व 31 अक्टूबर को नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ था। दूसरे दिन खरना पर गुड़ की खीर बनाई गई और तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया गया। आखिरी दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ पर्व संपन्न हो गया।