यह है पौराणिक कथा
माना जाता है कि मां महागौरी ने देवी पार्वती के रूप में भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। एक बार भगवान भोलेनाथ ने पार्वती जी को देखकर कुछ कह दिया, जिससे पार्वती जी का मन आहत हो गया। दुखी मन से ही वह एक बार फिर से अपनी तपस्या में लीन हो गईं। उन्हें तप करते हुए बरसों गुजर गए। जब काफी समय तक पार्वती जी नहीं लौटीं तो, शिवजी को उनकी चिंता सताने लगी और वे खुद ही पार्वती जी को खोजने निकल पड़े। घनघोर वन में तपस्या में रत पार्वती जी को उन्होंने ढूंढ ही लिया। उन्होंने पार्वती जी को देखा कि कठोर तपस्या के कारण उनका शरीर काला पड़ गया था। पार्वती जी को इस हाल में देख शिवजी प्रसन्न हो गए। उन्होंने गंगा जल से पार्वती जी को स्नान कराया। स्नान करते ही पार्वती जी का स्वरूप बिजली के समान कांतिमान, ओजपूर्ण और रंग गोरा हो गया। और उनके इस स्वरूप का नाम पड़ा महागौरी।
क्या है महागौरी का अर्थ
महागौरी का अर्थ है, गोरे रंग का वह रूप जो कि सौन्दर्य से भरपूर और प्रकाशमान है। जिस तरह प्रकृति के दो रूप होते हैं एक महा विध्वंसकारी और दूसरा सृजनकारी, उसी तरह मां के एक रूप कालरात्रि प्रलय के समान है और महागौरी रूप सौंदर्यवान करुणामयी है। माना जाता है कि महागौरी स्वरूप का ध्यान करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। ध्यान करने पर व्यक्ति संपूर्ण ब्रह्मांड का अनुभव करता है। ध्यान की परम्परा हमारे समाज में बहुत पुरानी है और कोई भी पूजा बिना ध्यान के पूरी नहीं मानी जाती है। हजारों वर्षों से इस परम्परा का निर्वहन किया जा रहा है।