हिन्दू पंचांग के अनुसार नरसिंह जयंती का व्रत वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है। पुराणों में वर्णित कथाओं के अनुसार इसी पावन दिवस को भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए भगवान विष्णु ने नृसिंह रूप में अवतार लेकर असुरों का अंत कर धर्म कि रक्षा की थी। तभी से भगवान नृसिंह की जयंती संपूर्ण भारत वर्ष में धूम धाम से मनाई जाती है।
पूजन विधि व शुभ मुहूर्त
– इस दिन पूजा करने के लिए सबसे उत्तम समय गोधूली बेला (संध्या काल) माना गया है, क्योंकि इसी समय भगवान नृसिंह ने अवतार लिया था।
– इस दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए।
– भगवान नृसिंह तथा लक्ष्मीजी की मूर्ति स्थापित करना चाहिए।
पूरी तरह बदल देंगे भाग्य की रेखा हनुमान जी, केवल एक बार करके देखें यह काम– भगवान नृसिंह जयंती के दिन व्रत-उपवास रखकर विधि विधान से विशेष पूजा अर्चना करना चाहिए।
– भगवान नृसिंह का वेदमंत्रों से आवाहन् कर प्राण-प्रतिष्ठा करने के बाद षोडशोपचार से पूजन करना चाहिये।
– भगवान नरसिंह जी का ऋतुफल, पुष्प, पंचमेवा, कुमकुम केसर, नारियल, अक्षत, पीताम्बर, गंगाजल, काले तिल, पञ्चगव्य आदि से पूजन करने के बाद हवन सामग्री से हवन भी करना चाहिए।
मनोकामना पूर्ति मंत्र
– भगवान नरसिंह को प्रसन्न करने के लिए उनके नरसिंह गायत्री मंत्र का जप 108 बार तो करना ही चाहिए।
– उपरोक्त विधि से पूजा करने के बाद एकांत में कुश के आसन पर बैठकर रुद्राक्ष की माला से इस नृसिंह भगवान जी के मंत्र का जप करना चाहिए।
– इस दिन व्रती को सामर्थ्य अनुसार तिल, स्वर्ण तथा वस्त्रादि का दान देना चाहिए।
– इस व्रत करने वाला व्यक्ति लौकिक दुःखों से मुक्त हो जाता है।
– भगवान नृसिंह अपने भक्त की रक्षा करते हैं व उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
भगवान नरसिंह मंत्र
ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्I
नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्यु मृत्युं नमाम्यहम्II
ॐ नृम नृम नृम नर सिंहाय नमः।
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