उन्होंने पुरानी यादों को ताजा करते हुए कहा कि गांव के ही सोने लाल शाक्य ने बैठक में सबके सामने कहा कि मुलायम सिंह यादव हमारे हैं। उनको चुनाव लड़ाने के लिए हम गांव वाले एक शाम खाना नहीं खाए। एक शाम खाना नहीं खाने से कोई मर नहीं जायेगा, पर एक दिन खाना छोड़ने से आठ दिनों तक मुलायम की गाड़ी चल जाएगी। जिस पर सभी गांव वालों ने एक जुट हो सोने लाल के प्रस्ताव का समर्थन किया और वहीं हुआ।
यादव बताते हैं कि मुलायम सिंह यादव को बचपन से ही पहलवानी का बड़ा शौक था। शाम को स्कूल से लौटने के बाद वे अखाड़े में जाकर कुश्ती लड़ते थे। जहॉ पर वे अखाड़े में बड़े से बड़े पहलवान को चित्त कर देते थे। सिंह बताते हैं कि मुलायम सिंह यादव का बचपन अभावों में बीता पर वे अपने साथियों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे। मुलायम सिंह छोटे कद के थे, लेकिन उनमें गजब की फुर्ती थी। अक्सर वे पेड़ों पर चढ़ जाते थे और आम, अमरुद, जामुन बगैरह तोड़कर अपने साथियों को खिलाते थे। कई बार लोग उनकी शिकायत लेकर उनके घर पहुंच जाते थे। तब उन्हें पिताजी की डांट भी पड़ती थी। यादव कहते हैं कि हमारी मित्र मंडली में दो लोग और भी थे। हाकिम सिंह और बाबूराम सेठ पर अफसोस दोनों अब इस दुनिया में नहीं हैं।
मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी के जिस कालेज में पढ़ाई की, बाद में उसी कालेज में पढ़ाया। बकौल दर्शन सिंह यादव मुलायम सिंह यादव को राजनीति में लाने का श्रेय अपने समय के कद्दावर नेता नत्थू सिंह को जाता है। चौधरी नत्थू सिंह ने मुलायम सिंह के लिए अपनी सीट छोड़ दी। उन्हें चुनाव लड़वाया और सबसे कम उम्र में विधायक बनवाया।
उस समय बहुत सारे लोग ऐसे थे, जिन्होंने मुलायम सिंह को विधानसभा का टिकट दिए जाने का विरोध किया था। लेकिन नत्थू सिंह के आगे किसी का विरोध नहीं चला। प्रधान दर्शन सिंह कहते हैं कि मुलायम सिंह यादव आज देश के बहुत बड़े नेता हैं, लेकिन जब भी उनसे मुलाकात होती है, तो हम लोग बचपन की पुरानी बातों को याद करते हैं।
मुलायम सिंह ने की कई लोगों की मदद- दर्शन सिंह कहते हैं कि मुलायम सिंह ने न जाने कितने लोगों की मदद की है, लेकिन वे कभी किसी पर इस बात का एहसान नहीं जताते। दर्शन सिंह यादव बताते हैं कि जब मुलायम सिंह यादव को पहली बार विधानसभा का टिकट मिला था तो हम लोगों ने जनता के बीच जाकर वोट के साथ-साथ चुनाव लड़ने के लिए चंदा भी मांगा था। मुलायम सिंह अपने भाषणों में लोगों से एक वोट और एक नोट (एक रुपया) देने की अपील करते थे। वे कहते थे कि हम विधायक बन जाएंगे तो किसी न किसी तरह से आपका एक रुपया ब्याज सहित आपको लौटा देंगे। लोग मुलायम सिंह की बात सुनकर खूब ताली बजाते थे और दिल खोलकर चंदा देते थे।
गाड़ी को देना पड़ता था बार-बार धक्का- दर्शन सिंह कहते हैं कि पहले हम लोग साइकिल से चुनाव प्रचार करते थे। बाद में चंदे के पैसों से एक सेकेंड हैंड कार खरीदी पर हम लोगों को इस कार को खूब धक्के लगाने पड़ते थे, क्योंकि यह कार बार-बार बंद हो जाया करती थी। दर्शन सिंह बताते हैं कि मुलायम सिंह यादव को राजनीति में बहुत संघर्ष करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी।
चौधरी नत्थू सिंह ने मुलायम सिंह को राजनीति में आगे बढ़ाया। नत्थू सिंह ने मुलायम सिंह के लिए अपनी सीट छोड़ी। वे कहते थे कि मुलायम सिंह पढ़े-लिखे हैं। इसलिए इनको विधानसभा में जाना चाहिए। दर्शन सिंह कहते हैं कि मुलायम सिंह की एक बड़ी खासियत है कि वे अपने लोगों को हमेशा याद रखते हैं। अपनों को कभी भूलते नहीं।