अखिलेश यादव यादव ने देखा था बड़ा सपना, लेकिन सपा सरकार जाते ही हुआ ऐसा उलटफेर, नहीं हो सका पूरा
दिनेश शाक्य
इटावा. वेटलैण्ड के रूप में विश्व भर में जाना जाने वाला उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में सरसई नावर का ईको टूरिज्म स्थल आज विभिन्न विभागों का सामान रखने का गोदाम बन चुका है। शासन-प्रशासन की अनदेखी का नतीजा यह है कि यहां की नम भूमि भी धीरे धीरे कम होती जा रही है जिससे यहां प्रदेश पक्षी सारस व प्रवासीय पक्षियों के अस्तित्व पर भी खतरा मडऱाने लगा है। अखिलेश सरकार में इसके विकास के लिए बनाए गए ईको विकास पर्यटन स्थल की इमारत भी अब कबाड़घर की तरह नजर आने लगी है। विश्व भर में पहचान होने के चलते यहां पर अभी भी देश और विदेश के लोग लुप्त होते सारसों के साथ विदेशी पक्षियों को देखने के लिए पहुुंचते हैं लेकिन पर्यटक स्थल की बदहाली से उन्हें यहां पहुंचकर सिर्फ निराशा ही हाथ लगती है।
वैटलैंड जा रहा है गर्त में इटावा जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम सरसईनावर वर्षों पूर्व से देशी विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर खींचता रहा है। इसका प्रमुख कारण यहां की नमभूमि का होना है। जिसकी वजह से सारस के साथ दर्जनों विदेशी पक्षी सर्दी के मौसम में इस स्थान को अपनी शरण स्थली बनाते हैं। सारस तो यहां यहां पर वर्ष भर नजर आते हैं तो वहीं विदेशी पक्षियों का आना नवम्बर माह से शुरू हो जाता है और मार्च तक यह पक्षी यहां पर प्रवास करने के बाद वापस लौट जाते हैं।
अखिलेश सरकार ने बनाई थी योजना यहां पर पर्यटकों के रूझान को देखते हुए अखिलेश सरकार ने इस स्थान को विकसित करने की योजना बनाई और वर्ष 2012 में यहां पर स्थित प्राचीन हजारीदेव मंदिर के निकट ईको विकास पर्यटन स्थल की इमारत के निर्माण के लिए 37 लाख रूपये का बजट स्वीकृत किया। इसके बाद अवास विकास ने वर्ष 2015 में इमारत तैयार कर इसे वन विभाग को हैण्डओवर कर दिया। यहां एक हाल में आने जाने वाले पर्यटकों के लिए सारस व विदेशी पक्षियों से सम्बंधित जानकारी के लिए कई चित्र आदि की प्रदर्शनी लगाई गई और मैदान में बच्चों के झूलने के लिए झूले व पर्यटकों के बैठने के लिए पार्क में बेंच लगाई गईं। पास ही दो वाच टावर भी बनाए गए हैं जिनसे पर्यटक सारस व विदेशी पक्षियेां की अठकेलियों को इससे निहार सकें।
सपा सरकार जाने के बाद अनदेखी जब तक प्रदेश में सपा सरकार रही तब तक तो सब ठीक चला लेकिन सरकार जाने के लिए ही इस धरोहर की अनदेखी शुरू हो गई। आज इस स्थल पर जलनिगम व दूरसंचार निगम का सामान पड़ा हुआ है। पास ही निर्मित जल निगम की टंकी की बची निर्माण सामग्री का ढेर भी यहां पहुंचे पर्यटकों को नजर आएगा। पर्यटक स्थल पर लगी प्रदर्शनी अगर कोई देखना चाहे तो बमुश्किल ताला खुलता है और जब खुलता है तो उसमें तस्वीरों पर धूल के सिवा पर्यटकों को कुछ देखने को नहीं मिलता।
कर्मचारियों को नहीं मिला पिछले एक साल से वेतन इटावा के सरसईनावर पर्यटक स्थल की देखरेख के लिए यहां पर सपा शासन में दो चौकीदारों की तैनाती की गई थी। इसके साथ ही इसकी देखरेख की जिम्मेदारी वन रक्षक दिनेश कुमार व वन रेनजर भरथना अशोक कुमार यादव को दी गई थी। स्थिति यह कि यहां तैनात चौकीदार अखिलेश और सुग्रीव को पिछले एक साल से वेतन ही नहीं मिला है। इस सम्बंध में अशोक कुमार का कहना है कि शासन से पर्यटक स्थल के लिए किसी प्रकार का कोई बजट नहीं मिल रहा है। उनकी कोशिश है कि जल्द से जल्द चौकीदारों को वेतन मिले।
सैफई में हुई विश्व सारस कांफ्रेंस में यूपी को बनाया गया था विश्व गुरू अखिलेश सरकार में ही सैफई में विश्व सारस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया था। जिसमें विश्व भर से सारस प्रेमी व विशेषज्ञ शामिल हुए थे। उत्तर प्रदेश की सारस को लेकर इस पहल से सभी बेहद उत्साहित और खुश थे इसी का नतीजा था कि उत्तर प्रदेश को सारस संरक्षण के लिए विश्व गुरू बनाने का फैसला ले लिया गया। इसके बाद अखिलेश सरकार ने भी सारस संरक्षण के लिए जल्द नई योजनाएं बनाकर कार्य करने का आश्वासन विश्व को दिया था लेकिन इसके बाद प्रदेश में आई भाजपा सरकार ने इसे अपनी योजनाओं में शामिल नहीं किया।
देश के 115 वेटलेंड क्षेत्रों में से एक है सरसईनावर देश में कुल 115 वेटलेंड क्षेत्र हैं जहां पर सारस पाए जाते हैं और प्रवासीय पक्षियों का आना जाना लगा रहता है। इनमें से एक सरसईनावर भी है। सर्दी के मौसम में यहां पर चीन, मंगोलिया, इरान, अफगानिस्तान से सुर्खाब पक्षी, साइबेरिया से लालसर पक्षी,पिनटेल,वानवर, छोटा पन कौवा, नकटा, सफद वुज्ज नाम के पक्षी शरण लेेते हैं इसके साथ ही तमाम देशी पक्षियों को भी यह स्थान खूब भाता है।
साल 2014 में जिला स्तर पर भी बनाई गई थी योजना शासन प्रशासन के साथ वर्ष 2014 में जिला स्तर पर भी सरसईनावर वेटलैण्ड के विकास की योजना तैयार कर काम शुरू किया गया था। तत्कालीन जिलाधिकारी विद्या भूषण व तत्कालीन एसडीएम शैलेंद्र भाटिया ने पहल करते हुए वेटलैण्ड पर हो रहे कब्जों पर अंकुश लगाया और इसके बाद पानी के ठहराव के लिए बंधा बनवाने का कार्य शुरू किया था। इन बंधों को बनवाकर यहां आठ नए टापू तैयार करने की योजना थी जिससे कि यह नमभूमि टापू पक्षियों को और आकर्षित करें। इसी बीच जिलाधिकारी विद्याभूषण के अचानक दुर्घटना में घायल होने के बाद यह कार्य भी यहीं पर रूक गया।
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