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गांव के लिए कुछ करना चाहती हैं सुरेखा
जेल से छूटने के बाद से सुरेखा बेटे संग थाना सहसो के बदनपुरा गांव में अपने भाई-भाभी के साथ रह रही हैं। यहां वह बेटे को पढ़ाने साथ-साथ गांव की महिलाओं को सिलाई का काम सिखा रही हैं। गुर्जर बाहुल्य गांव में सुरेखा का एक मात्र परिवार धोबी जाति का है। सुरेखा का कहना है कि बागी जीवन के दौरान कभी भी किसी महिला एवं निर्दोष के साथ अत्याचार नहीं किया और न ही सलीम गुर्जर के गैंग में किसी भी डकैत को करने दिया। अब वह गांव के लिए कुछ करना चाहती हैं।