जांच में संदिग्ध पाए गए दस्तावेज प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद कुछ शिक्षकों के फर्जी दस्तावेज लगाकर सरकारी नौकरी (Sarkari Naukri) पाए जाने के मामले सामने आए थे। इस पर सरकार ने वर्ष 2010 के बाद बेसिक शिक्षा विभाग में नियुक्ति पाए हुए सभी शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच करने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद पूरे उत्तर प्रदेश में नियुक्ति पाए शिक्षकों के दस्तावेजों की कराई जा रही है। इसी क्रम में इटावा में भी शिक्षकों के दस्तावेज खंगाले गए और उनकी जांच कराई गई। जिसमें 21 शिक्षकों के दस्तावेज संदिग्ध पाए गए हैं। जिसकी रिपोर्ट कमेटी के सामने रख दी गई है। इसकी जांच के लिए अपर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई थी। जिसमें बेसिक शिक्षा अधिकारी अजय कुमार सिंह से इन सभी शिक्षकों के दस्तावेजों का सत्यापन करने के लिए कहा था। हालांकि सत्यापन के कार्य में भी देरी हुई और तीन बार रिमांडर दिए जाने के बाद कमेटी को जांच की रिपोर्ट सौंपी गई। जिसमें 21 शिक्षकों के दस्तावेज संदिग्ध बताए गए हैं। अब कमेटी की एक और बैठक होगी। जिसमें यह निर्णय लिया जाएगा कि इन शिक्षकों पर क्या कार्रवाई की जानी है।
कमेटी जल्द करेगी कार्रवाई मामले की फाइल जिलाधिकारी के पास पहुंचा दी गई है। 21 शिक्षकों के दस्तावेज संदिग्ध पाए जाने से बेसिक शिक्षा विभाग में खलबली मची है। यह भी बताया गया है कि अभी जांच जारी है और 2010 के बाद नियुक्ति पाए हुए कुछ अन्य शिक्षकों के दस्तावेजों में भी संदिग्धता पाई जा सकती है। जांच कमेटी में अध्यक्ष एडीएम, सदस्य एसपी ग्रामीण और सदस्य एडी बेसिक कानुपर हैं। इस मामले की जांच की जो रिपोर्ट आई है उसको लेकर जल्द ही एडीएम की अध्यक्षता वाली कमेटी की एक अन्य बैठक होगी। इसी बैठक में यह निर्णय लिया जाएगा कि संदिग्ध दस्तावेज वाले शिक्षकों पर क्या कार्रवाई की जानी है और वह कार्रवाई कब होगी। संदिग्ध दस्तावेज वाले शिक्षकों पर कार्रवाई का पूरा दारोमदार इसी कमेटी के ऊपर है।