scriptवायु प्रदूषण का समाधान..इलेक्ट्रिक वाहन | Electric Vehicles can be the best solution for air pollution in India | Patrika News
इलेक्ट्रिक व्हीकल्स

वायु प्रदूषण का समाधान..इलेक्ट्रिक वाहन

देश में वायु प्रदूषण की समस्या बढ़ती ही जा रही है। इसमें पेट्रोल-डीज़ल से चलने वाले वाहन भी काफी हद तक ज़िम्मेदार होते हैं। ऐसे में क्या आपने सोचा है कि इसका क्या समाधान हो सकता है? जवाब है..इलेक्ट्रिक वाहन।

Oct 24, 2022 / 03:13 pm

Tanay Mishra

electric_cars.jpg

UP’s new EV Policy eyes big investment

देश में वायु प्रदूषण की समस्या किसी से छिपी नहीं है। त्यौहारी सीज़न में यह और भी बढ़ जाती है। इसका कारण सिर्फ पटाखे ही नहीं, बल्कि पेट्रोल-डीज़ल से चलने वाले वाहन भी हैं। हाल ही में द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टेरी) के एक अध्ययन के अनुसार 2019 में दिल्ली में कुल वायु प्रदूषण में 23% हिस्सेदारी परिवहन क्षेत्र की रही थी। ऐसे में जाहिर है 2020, 2021 और 2022 में यह हिस्सेदारी और बढ़ेगी।


क्या हो सकता है वायु प्रदूषण का टिकाऊ समाधान?

पेट्रोल-डीज़ल वाहनों से होने वाले इस वायु प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए टेरी, इंटरनेशनल काउंसिल फॉर क्लीन ट्रांसपोर्टेशन (आईसीसीटी) और अर्बन वर्क्स इंस्टीट्यूट के एक्सपर्ट्स ने इस विषय पर चर्चा की। और इस चर्चा के बाद उनका मानना है कि इलेक्ट्रिक वाहन ही वायु प्रदूषण के संकट का टिकाऊ समाधान हो सकते हैं। आईसीसीटी के इंडिया मैनेजिंग डायरेक्टर अमित भट्ट ने इस बारे में बात करते हुए कहा, ‘‘इस साल बारिश और अन्य अनुकूल परिस्थितियों ने सितंबर और अक्टूबर में अब तक वायु की गुणवत्ता को बेहतर बनाए रखा, लेकिन अब स्थिति फिर रेड जोन की तरफ बढ़ रही है। समय-समय पर पराली जलने और पटाखों के कारण होने वाले प्रदूषण से विशेषतौर पर सर्दियों में उत्तर भारत की वायु गुणवत्ता बहुत खराब हो जाती है। हालांकि दिल्ली की वायु गुणवत्ता को ध्यान से देखें तो पता चलता है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण एक सतत समस्या है। एआरएआई और टेरी द्वारा 2018 में किए गए एक अध्ययन में पाया गया था कि दिल्ली में पेट्रोल-डीज़ल वाहन वायु प्रदूषण का प्राथमिक स्रोत हैं और करीब 40% पीएम 2.5 उत्सर्जन इनसे होता है। इसलिए दिल्ली की वायु को स्वच्छ रखने के लिए परिवहन व्यवस्था को स्वच्छ करने की आवश्यकता है और इलेक्ट्रिक वाहन इसका उपाय है।”

traffic_pollution.jpg


यह भी पढ़ें

Toyota का अनुमान, इस साल हो सकता है नुकसान, जानिए कारण


इलेक्ट्रिक वाहनों से नहीं होता उतसर्जन

टेरी के सीनियर विजिटिंग फेलो आईवी राव ने इस बारे में बात करते हुए कहा, “खराब होती वायु गुणवत्ता और दिवाली के आसपास बढ़ता प्रदूषण इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर तेजी से बढ़ने की जरूरत को दर्शाते हैं। दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता बहुत खराब है। विशेषरूप से सर्दियों में स्थिति और खराब हो जाती है। इस दौरान पीएम 2.5 का स्तर साल के औसत स्तर से तीन से चार गुना हो जाता है। टेरी की सोर्स अपोर्शनमेंट स्टडी के अनुसार, दिल्ली में 2019 में कुल वायु प्रदूषण में 23% हिस्सेदारी पेट्रोल-डीज़ल वाहनों से थी। दिवाली के दौरान फूटने वाले पटाखे इस प्रदूषण को बढ़ाकर वायु गुणवत्ता को और खराब कर देते हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों में ऐसा कोई उत्सर्जन नहीं होता है और दिल्ली जैसे शहरों को इसी की जरूरत है।”

इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स हैं प्रभावी तरीका

हाल ही में हुए एक अध्ययन के अनुसार, 2030 तक 30% टू-व्हीलर्स इलेक्ट्रिक होंगे। आईसीसीटी की रिसर्चर (कंसल्टेंट) शिखा रोकड़िया ने इस बारे में बात करते हुए कहा, “भारत दुनिया का सबसे बड़ा टू-व्हीलर मार्केट है और इसे देखते हुए यहां टू-व्हीलर्स को बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिक करना ऐसे उत्सर्जन को शून्य के करीब पहुँचाने के लिए लागत के हिसाब से सबसे प्रभावी तरीका हो सकता है।”

30% से ज़्यादा इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स

भारत में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स के मार्केट के बारे में टेरी के आईवी राव ने बात करते हुए कहा, “भारत में कुल वाहन बिक्री में 70% हिस्सेदारी टू-व्हीलर्स की है। इनकी लागत और सरकार की फास्टर एडोप्शन ऑफ मैन्यूफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक एंड हाइब्रिड व्हीकल (फेम) स्कीम के तहत मिलने वाले इंसेटिव के कारण टू-व्हीलर्स ग्राहकों के बड़े वर्ग को आकर्षित कर रहे हैं। आगे चलकर इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स की बिक्री को और गति मिलेगी और 2030 तक इनकी हिस्सेदारी संभवत: 30% से ज्यादा हो जाएगी।”

लोगों को इलेक्ट्रिक बसों में सफर के लिए प्रोत्साहित किया जाना ज़रूरी

पब्लिक ट्रांसपोर्ट को अपनाना और विशेषरूप से इलेक्ट्रिक बसों के माध्यम से इसे इलेक्ट्रिक करना वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने का परखा हुआ और प्रभावी तरीका है। अर्बन वर्क्स की संस्थापक और मैनेजिंग ट्रस्टी श्रेया गडेपल्ली ने इस बारे में बात करते हुए कहा, “इस साल दिल्ली ने अपने यहाँ पब्लिक ट्रांसपोर्ट में 10,000 अतिरिक्त बसें जोड़ने की बात कही है। इनमें से 8,000 से ज्यादा बसें 2025 तक इलेक्ट्रिक होंगी। यह सही दिशा में उठाया गया उल्लेखनीय कदम है। हालांकि ज्यादा बसों का होना प्रदूषण की समस्या के समाधान का बस एक पहलू है। आवश्यकता इस बात की भी है कि लोगों को उनमें सफर के लिए प्रोत्साहित भी किया जाए। ऐसा होने के लिए जरूरी है कि लोगों को बसें भरोसेमंद, आसानी से मिलने वाला और आकर्षक ऑप्शन लगें। एक जगह से दूसरी जगह तक कनेक्टिविटी नहीं होने जैसी बाधाओं को दूर करना होगा। लोग जहाँ पहुँचना चाहते हैं, बसों को समय और सहूलियत के साथ वहाँ तक पहुँचना होगा।”

electric_buses.jpg


इंटर्नल कंबस्शन इंजन वाले वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाना महत्वपूर्ण

ट्रांसपोर्ट के क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन को कम करने की दिशा में संगठित प्रयास वायु प्रदूषण के कारण होने वाले दुष्प्रभावों को कम करने में प्रभावी सिद्ध हुए हैं। देश का सतत एवं पर्यावरण की दृष्टि से अनुकूल भविष्य सुनिश्चित करने के लिए इंटर्नल कंबस्शन इंजन वाले वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाना महत्वपूर्ण है। इनमें मालवाहक वाहन भी शामिल हैं।

Hindi News/ Automobile / Electric Vehicles / वायु प्रदूषण का समाधान..इलेक्ट्रिक वाहन

ट्रेंडिंग वीडियो