यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए पोस्टर वार शुरू, भाजपा का पहला पोस्टर जारी
Uttar Pradesh Assembly Elections 2022 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद से सोशल मीडिया पर प्रमुख राजनीतिक दलों की जीत वाले पोस्ट नजर आने लगे है। पार्टियों ने पहले ही सोशल मीडिया पर पोस्टर जारी करना शुरू कर दिया है। अभी पोस्टर युद्ध शुरू हुआ है और आने वाले दिनों में सोशल मीडिया पर इस तरह के प्रचार की भीड़ देखने को मिलेगी। भाजपा ने सबको पछाड़ते हुए अपना चुनावी पोस्टर जारी कर दिया है।
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए पोस्टर वार शुरू, भाजपा का पहला पोस्टर जारी
लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 का आखिरकार ऐलान हो गया है। यूपी में 7 चरणों में मतदान होगा। 10 मार्च को चुनाव नतीजे आएंगे। 10 फरवरी को पहले चरण के लिए वोट डाले जाएंगे। चुनाव की घोषणा के बाद सूबे के सभी दलों में सरगर्मियां तेज हो गई। भाजपा ने सबको पछाड़ते हुए अपना चुनावी पोस्टर जारी कर दिया है। पोस्टर साफ साफ अपनी कहानी कह रहा है कि, यूपी चुनाव में भाजपा मोदी और योगी के चेहरे पर ही यह जनसंग्राम लड़ेगी।
भाजपा ने पेश किए दो चेहरे यूपी विधानसभा चुनावों की घोषणा के साथ राजनीतिक पार्टियां चुनावी तैयारियों में जुट गई है। इस तैयारी में भाजपा ने सबसे पहले यूपी चुनाव के लिए अपना पोस्टर जारी कर दिया है। पोस्टर में साफ अक्षरों में लिखा है कि, मोदी है तो मुमकिन है योगी है तो यकीन है। पोस्टर और उस पर लिखा संदेश बता रहा है कि यह चुनाव इन दोनों के कंधों के सहारा ही लड़ा जाएगा। जनता के बीच भाजपा ने अपने दो चेहरे पेश कर दिए हैं। अब आगे रणनीति की तैयारी चल रही है।
10 मार्च को फिर आ रहे हैं भगवधारी भाजपा के एक और पोस्टर में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भीड़ की तरफ हाथ लहराते हुए एक तस्वीर है और कैप्शन में लिखा है, “राज तिलक की करो तैयारी, 10 मार्च को फिर आ रहे हैं भगवधारी।”
‘आ रहा हूं’ अखिलेश के पोस्टर ने चौंकाया सूबे में अब सियासी दलों के बीच पोस्टर वॉर शुरू हो जाएगा। वैसे समाजवादी पार्टी ने अक्टूबर 2021 में लखनऊ में डिजिटल टाइमर वाले पोस्टर लगा कर सबको चौंका दिया था। जिसमें अखिलेश यादव की तस्वीर के साथ लिखा था कि ‘आ रहा हूं’।
आ रहे हैं समाजवादी रविवार को समाजवादी पार्टी ने एक और पोस्टर जारी किया जिसमें लिखा है कि, 10 मार्च को आ रहा हूं। 300 यूनिट फ्री बिजली ला रहा हूं। एक और पोस्टर में अखिलेश भीड़ की तरफ हाथ लहराते हुए दिखाई दे रहे है, और कैप्शन में लिखा है, “चल पड़ी है लाल आंधी, आ रहे हैं समाजवादी।” ‘लाल आंधी’ पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा पहनी जाने वाली लाल टोपी को कहा गया है।
बहनजी है यूपी का आस चुनाव आयोग ने रैली और जनसभा पर 15 जनवरी तक रोक लगा रखी है। इसलिए अब सोशल मीडिया ही चुनावी प्रचार का का बड़ा सहारा रहेगा। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के पोस्टर में पहली बार दो नेता हैं- मायावती और सतीश चंद्र मिश्रा- और कैप्शन में दावा किया गया है – 10 मार्च, सब साफ, बहनजी है यूपी का आस।
कांग्रेस का दावा कांग्रेस के पोस्टर में दावा किया गया है “10 मार्च-आ रही है कांग्रेस”। पोस्टर में प्रियंका गांधी वाड्रा की तस्वीर है।10 मार्च – उस दिन को संदर्भित करता है जिस दिन विधानसभा चुनावों के लिए वोटों की गिनती की जाएगी।
यूपी चुनाव 2022 योगी की अग्नि परीक्षा विधानसभा चुनाव 2017 भाजपा गठबंधन ने 325 सीटें जीती थी। सीएम योगी के बाद अखिलेश यादव दूसरे नेता हैं, जिन्होंने यूपी में पांच साल का सीएम कार्यकाल पूरा किया है। चुनाव 2022 सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए अग्नि परीक्षा है। वैसे एक चैनल पर सीएम योगी ने कहा, ‘मैं कमबैक करूंगा, मैं उस रिकॉर्ड को तोड़ूंगा।’ पिछले 37 साल से यूपी में कोई भी नेता लगातार दो बार सीएम पद पर नहीं रह सका है।
दलों की अब तक तैयारी चुनाव में भाजपा अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। पर अपना दल (एस) और निषाद पार्टी के साथ गठबंधन भी किया है। समाजवादी पार्टी का 10 छोटे दलों से गठबंधन है। कांग्रेस और बसपा प्रमुख मायावती ने किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं किया है।
10 मार्च को आएंगे चुनाव नतीजे उत्तर प्रदेश विधान सभा का कार्यकाल 14 मई 2022 को समाप्त होने वाला है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 10 फरवरी को पहले चरण, 14 फऱवरी दूसरे चरण, 20 फरवरी तीसरे चरण, 23 फरवरी चौथे चरण, 27 फरवरी पांचवें चरण, 3 मार्च को छठे चरण और 7 मार्च को सातवें चरण का मतदान होगा। 10 मार्च को चुनाव नतीजे आएंगे।
इन मुद्दों पर बनेगी सरकार उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव इस बार कोरोना, महंगाई, जाति, कानून व्यवस्था जैसे करीब छह मुद्दे काफी हावी रहेंगे और इन्हीं के बूते राज्य में अगली सरकार बनेगी। जाति का फार्मूला देगा सत्ता
उत्तरप्रदेश के चुनावी इतिहास में जाति भी काफी महत्वपूर्ण रहा है। यहां की अधिकांश सीटों पर पिछड़ों और दलितों का वर्चस्व रहा है। हालांकि कई सीटों पर सवर्ण आबादी भी निर्णायक भूमिका अदा करती है। उत्तरप्रदेश में करीब 43 फीसदी ओबीसी वोटर्स, 22 फीसदी दलित, सवर्ण करीब 18 फीसदी और मुस्लिम 17 फीसदी हैं। इसलिए सभी राजनीतिक दलों ने अपनी सहूलियत के हिसाब से जातिगत समीकरण साधने शुरू कर दिए हैं।
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