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तीसरे चरण का रण – आलू, तंबाकू और गुलाब के आगे नहीं चल पा रहा हिजाब, मतदाता मांग रहे हैं पांच साल में किए कामों का हिसाब

तीसरे चरण के रण में भी नेताओं का दिन खेतों में ही बीत रहा है। कहीं आलू के ढेर के बीच तो कहीं हरे-भरे तंबाकू खेत के बीच खड़े नेताओं से किसान सवाल दर सवाल दाग रहे हैं। नेताओं को मतदाता बरसाती मेंढक करार दे रहे हैं। उनका कहना है कि किसानों के दर्द और उनकी समस्याओंं पर कोई बात नहीं हो रही।

Feb 17, 2022 / 02:24 pm

Vivek Srivastava

तीसरे चरण का रण - आलू, तंबाकू और गुलाब के आगे नहीं चल पा रहा हिजाब

तीसरे चरण का रण – आलू, तंबाकू और गुलाब के आगे नहीं चल पा रहा हिजाब

UP Assembly Elections 2022: पश्चिमी यूपी में पहले और दूसरे चरण के चुनाव में नेता गन्ना खेतों का चक्कर लगा रहे थे। तब गन्ने की ठूँठ से ज्यादा उन्हें किसानों की बातें चुभ रही थीं। तीसरे चरण के रण में भी नेताओं का दिन खेतों में ही बीत रहा है। कहीं आलू के ढेर के बीच तो कहीं हरे-भरे तंबाकू खेत के बीच खड़े नेताओं से किसान सवाल दर सवाल दाग रहे हैं। गुलाब की खेती करने वाले वोटर्स नेताओं से पिछले पांच साल में किए कामों का ब्योरा मांग रहे हैं। आलू, तंबाकू और गुलाब की महक के मुकाबले में भाजपा के हिजाब की चर्चा दब गयी है। …तो विपक्षी पार्टियों को मतदाता बरसाती मेंढक करार दे रहे हैं। उनका कहना है कि किसानों के दर्द और उनकी समस्याओंं पर कोई बात नहीं हो रही। मतदाताओं के बिगड़े मूड से नेताओं के चेहरों की हवाईयां उड़ रही हैं।
59 में से 36 सीटों पर आलू किसान करेंगे फैसला

फर्रुखाबाद, कन्नौज, मैनपुरी और कानपुर के बिल्हौर से लेकर फिरोजाबाद तक खेतों में आलू के ढेर लगे हैं। आलू बेल्ट के इस पूरे इलाके में सड़क किनारे आलू के खेत दिखते हैं। शीतगृहों के सामने आलू लदे ट्रैक्टर खड़े हैं। खेतों में आलू की बोरियां लद रही हैं। वोट पाने की प्रत्याशा में नेताजी आलू की बोरियां लदवा रहे हैं। समूचे आलू बेल्ट के किसानों गुस्सा सातवें आसमान पर है। अकेले फर्रूखाबाद में 11 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा आलू पैदा होती है। किसानों का कहना है चुनावों में वादे होते हैं। लेकिन, आलू की खपत बढ़ाने के लिए उद्योग नहीं लग सके। नेता हर चुनाव में चिप्स, अल्कोहल फैक्टरी और आलू पाउडर बनाने की बात कहते हैं। अंतत: हर साल औने-पौने दामों में आलू बेचने की मजबूरी होती है।
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यूपी देश का सबसे बड़ा आलू उत्पादक

यूपी देश का सबसे बड़ा आलू उत्पादक राज्य है। यहां 6.1 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में आलू बोया जाता है। हर साल करीब 147.77 लाख मीट्रिक टन आलू उत्पादन होता है। कम से कम 40 लाख आबादी इस खेती से जुड़ी है। लेकिन, साल दर साल आढ़ती के सहारे ही आलू बेचेने का दर्द हर किसान के चेहरे पर पढ़ा जा सकता है।
‘मैनपुरी तंबाकू’ का बिजनेस बचाना बड़ी चुनौती

मैनपुरी जिलों के खेतों में तंबाकू की फसल लहलहा रही है। लेकिन किसान परेशान हैं। इन्हें खरीददार नहीं मिल रहा। फेमस ‘मैनपुरी तंबाकू’ बेचने वालों का बिजनेस मरणासन्न अवस्था में है। यहां की करहल सीट से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव चुनाव लड़ रहे हैं। देशभर की निगाहें यहां टिकी हैं। लेकिन, देश-दुनिया में मशहूर मैनपुरी की तंबाकू की महक और तंबाकू विक्रेताओं के तीखे सवालों से नेताओं के माथे पर पसीने चुहचुहा रहा है। मैनपुरी तंबाकू पर कई देशों ने प्रतिबंध लगा दिया गया है। तंबाकू का कच्चा माल महंगा हो गया है। फेमस कपूरी तंबाकू महीन कटी हुई सुपारी, पिसी हुई लोंग, पिसी हुई इलायची, केवड़ा और चंदन के पाउडर से तैयार होती है। इन पर भारी जीएसटी लगती है। इससे कारोबारी परेशान हैं। यहां की किसी भी गली में चले जाइए, तंबाकू की तीक्ष्ण गमक से नथुने भर जाते हैं। किसानों के साथ ही विक्रेताओं की चिंता यही है कि उनकी समस्यायों पर कोई बात नहीं कर रहा है।
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इत्र नगरी में बागों में मुरझा रहा फूलों का राजा

कनौज, फर्रुखाबाद और आसपास के कुछ जिलों में खेतों में सुर्ख गुलाब लहलहा रहा है। गुलाब, गेंदे और चमेली के फूलों की खेती से यहां के किसान खुशहाल थे। लेकिन पिछले दो सालों में कोरोना महामारी ने उन्हें तगड़ा झटका दिया है। कनौज की इत्र की भट्टियां ठंडी पड़ी हैं। आसवानियों के न चलने से खस की घास खेतों में सूख रही है। सुर्ख गुलाब की पंखुडिय़ां भी खेतों में ही मुरझा कर गिर रही हैं। कारोबार चलेगा इस उम्मीद में किसानों ने गेंदा, चमेली और तमाम अन्य औषधीय पौधों की रोपाई की थी। लेकिन खड़ी फसलों के खरीदार नहीं आ रहे। इससे किसानों के चेहरे पर मायूसी पसरी है। उनका कहना है, हमारी इस समस्या पर कोई नेता ध्यान ही नहीं दे रहा है।

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