सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने सभी जिला अध्यक्षों को पत्र लिखते हुए कहा है कि कानूनी सलाह की जरूरत पड़ सकती है। ऐसे में दो-दो अधिवक्ताओं की नियुक्ति की जाएगी। 75 जिलों की सभी 403 विधानसभा के मतगणना केंद्रों पर सपा के अधिवक्ता मौजूद रहेंगे।
सभी जिला और महानगर अध्यक्षों को निर्देश सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम ने सभी जिला और महानगर अध्यक्षों को निर्देश दिए हैं कि मतगणना के दौरान किसी भी कानूनी परामर्श की जरुरत पड़ सकती है। अधिवक्ता सपा के सभी जिला और महानगर अध्यक्षों को 9 मार्च तक अधिवक्ताओं के नाम देने के निर्देश दिए हैं। पार्टी अध्यक्ष ने पत्र में लिखा है कि विधानसभा चुनाव की काउंटिग हर विधानसभा में 10 मार्च को होनी है। मतगणना के समय हर काउंटिंग बूथ पर दो-दो अधिवक्ता कानूनी सलाह के लिए मौजूद रहने चाहिए ताकि जरूरत पडऩे पर आप उनकी हेल्प ले सकें। दोनों अभिवक्ताओं के नाम और मोबाइल नंबर पार्टी प्रदेश कार्यालय में नौ मार्च तक जरूर उपलब्ध करा दें।
स्ट्रांग रूम की सख्त रखवाली इसके पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ईवीएम मशीनें जहां रखी हैं वहां स्ट्रांग रूमों की सख्त निगरानी के आदेश अपने कार्यकर्ताओं को दिए थे। उन्होंने कहा था स्ट्रांग रूम में सील होने के बाद करें निगरानी। कार्यकर्ता स्ट्रांग रूम के बाहर 24 घंटे निगरानी करें। गौरतलब है यूपी में सभी 75 जिलों की सभी 403 विधानसभाओं में वोटो की गिनती 10 मार्च को होने जा रही है।
कब तक इनमें सुरक्षित रहता है डाटा ज्ञातव्य है कि मतदान खत्म होते ही तुरंत पोलिंग बूथ से ईवीएम स्ट्रांग रूम नहीं भेजी जातीं। प्रीसाइडिंग ऑफिसर ईवीएम में वोटों के रिकॉर्ड का परीक्षण करता है। सभी प्रत्याशियों के पोलिंग एजेंट को एक सत्यापित कॉपी दी जाती है। इसके बाद ईवीएम को सील कर दिया जाता है। प्रत्याशियों या उनके पोलिंग एजेंट सील होने के बाद अपने हस्ताक्षर करते हैं। प्रत्याशी या उनके प्रतिनिधि मतदान केंद्र से स्ट्रांग रूम इवीएम के साथ जाते हैं। रिजर्व ईवीएम भी इस्तेमाल की गई इवीएम के साथ ही स्ट्रांग रूम में आनी चाहिए। जब सारी इवीएम आ जाती हैं. तब स्ट्रांग रूम सील कर दिया जाता है. प्रत्याशियों के प्रतिनिधि को अपनी तरफ़ से भी सील लगाने की अनुमति होती है।
कैसा होता है स्ट्रांग रूम का सुरक्षा घेरा स्ट्रांग रूम का मतलब है वो कमरा, जहां इवीएम मशीनों को पोलिंग बूथ से लाकर रखा जाता है। उसकी सुरक्षा अचूक होती है। यहां हर कोई नहीं पहुंच सकता। इसकी सुरक्षा के लिए चुनाव आयोग पूरी तरह से चाक-चौबंद रहता है। स्ट्रांग रूम की सुरक्षा चुनाव आयोग तीन स्तर पर करता है। इसकी अंदरूनी सुरक्षा का घेरा केंद्रीय अर्ध सैनिक बलों के जरिए बनाया जाता है। इसके अंदर एक और सुरक्षा होती है, जो स्ट्रांग रूम के भीतर होती है। ये केंद्रीय बल के जरिए की जाती है. सबसे बाहरी सुरक्षा
ये भी पढ़ें: Online fraud: इन बातों कर रखेंगे ध्यान तो फ्रॉड होने पर मिलेगा मोटा मुआवजा, जानें नियम व प्रक्रिया कितने दिनों तक डाटा रहता है सुरक्षित ईवीएम में जब वोट डाले जाते हैं तो वोटों का डाटा उसकी कंट्रोल यूनिट में सुरक्षित हो जाता है। वैसे तो एक ईवीएम की उम्र 15 साल होती है। इसके बाद उसको रिटायर कर दिया जाता है. लेकिन अगर डाटा की बात करें तो इसमें डाटा को ताउम्र सुरक्षित रखा जा सकता है। इसका डाटा तभी हटाया जाता है जब इसे डिलीट करे नई वोटिंग के लिए तैयार करना होता है।