OM Prakash Rajbhar: भागीदारी संकल्प मोर्चा के जरिए किंगमेकर की भूमिका निभाना चाहते हैं ओमप्रकाश राजभर
OM Prakash Rajbhar in UP Politics- सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर यूपी में गठबंधन राजनीति के उभरते सितारे हैं। भागीदारी संकल्प मोर्चा बनाकर राजभर ने यूपी की 10 छोटी पार्टियों को अपने मोर्च से जोड़कर विधानसभा चुनाव 2022 में 403 सीटों पर उतरने का एलान किया है।
लखनऊ. OM Prakash Rajbhar in UP Politics-सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर यूपी में गठबंधन राजनीति के उभरते सितारे हैं। भागीदारी संकल्प मोर्चा बनाकर राजभर ने यूपी की 10 छोटी पार्टियों को अपने मोर्च से जोड़कर विधानसभा चुनाव 2022 में 403 सीटों पर उतरने का एलान किया है। अति पिछड़ों के हक के लिए आवाज उठाने वाले ओमप्रकाश राजभर भागीदारी संकल्प मोर्चा के जरिए विधानसभा चुनाव 2022 में किंग मेकर की भूमिका निभाना चाहते हैं।
कांशीराम से सीखी राजनीति सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर वाराणसी के फतेहपुर खौंदा सिंधौरा के मूल निवासी हैं। इनके पिता सन्नू राजभर कोयला खदान में काम करते थे। राजनीति में आने से पहले ओम प्रकाश राजभर टेम्पो चलाते थे। कुछ पैसे जमा होने पर जीप खरीदी और पैसेंजर के सामान ढोने का काम शुरू किया। 1981 में यह बसपा संस्थापक कांशीराम के मूवमेंट से जुड़ गए। 1996 में कोलअसला (पिंडरा) से इन्होंने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। लेकिन हार गए। बसपा छोड़ने के बाद सोनेलाल पटेल की पार्टी अपना दल से जुड़े।
ओमप्रकाश ने 2002 में बनायी सुभासपा 2002 में ओमप्रकाश राजभर ने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का गठन किया। 2007 के विधानसभा चुनाव में राजभर ने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रत्याशी उतारे लेकिन सफलता नहीं मिली। 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में सुभासपा ने कुल 13 उम्मीदवार उतारे। ओमप्रकाश खुद सलेमपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़े। पार्टी को कुल 118,947 वोट मिले। इससे ओम प्रकाश राजभर का कद बढ़ गया। 2017 के चुनाव में सुभासपा ने भाजपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा और चार सीटें जीतीं। ओमप्रकाश राजभर योगी सरकार में मंत्री बनाए गए। लेकिन पिछड़ा वर्ग कल्याण और दिव्यांग जन कल्याण मंत्री रहते हुए भी इस समाज के लिए कुछ न कर पाने का आरोप लगाते हुए मंत्री पद छोड़ दिया।
राजभर समाज के बड़े नेता हैं ओमप्रकाश उत्तर प्रदेश के कई जिलों में पिछड़ी जाति में शामिल राजभर की बड़ी आाबादी है। ओमप्रकाश राजभर इस समाज के नेता राजा सुहेलदेव राजभर के नाम पर समाज के लोगों को एकत्रित और संगठित किया। राजभर जाति मछली पालन और खेतीबाड़ी के व्यवसाय से जुड़ी है। सुभासपा और राजभर इस जाति के प्रभावशाली नेता हैं। पूर्वी यूपी के वाराणसी, मिर्जापुर, गाजीपुर, बलिया, मऊ, आजमगढ़, चंदौली, और भदोही में राजभर वोटरों की संख्या 22 फीसदी तक है।
ओमप्रकाश राजभर की शिक्षा ओम प्रकाश राजभर चार भाइयों में सबसे बढ़े हैं। उन्होंने राजनीतिक शास्त्र में एमए किया है। अध्ययन के दौरान वाराणसी से पहले टेम्पो चलाते थे। बाद में जीप खरीद कर चलाया और पिता के साथ सब्जी की खेती करते थे। 1995 में ओम प्रकाश राजभर की पत्नी राजमति राजभर वाराणसी जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ चुकी हैं। 1996 में कोलअसला (पिंडरा) से ओम प्रकाश राजभर बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। लेकिन हार गए। 2001 में भदोही का नाम बदलकर संतरविदासनगर करने पर मायावती से उनका विवाद हो गया। इसके बाद उन्होंने अपनी राह अलग कर दी।
ओम प्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर सुभासपा में महसचिव की भूमिका में हैं। उन्होंने बलिया जिले की बांसडीह सीट से बीजेपी-सुभासपा के संयुक्त प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था लेकिन चुनाव हार गए थे। सक्रिय राजनीति में अपनी पहचान बनाने में लगे अरविंद राजभर दलितों, शराबबंदी, पिछड़ों, महिलाओं, यौन शोषण आदि ऐसे मुद्दों पर आवाज उठाते हैं जिन्हें सामाज में आमतौर पर कुचल दिया जाता है।