हरिद्वार के झबरेड़ा से बीजेपी विधायक देशराज कर्णवाल ने चुनाव आयोग को पत्र भेजकर यह मांग की है। कर्णवाल ने कहा है कि रविदास जयंती के मौके पर उत्तराखंड से भी बड़ी संख्या में लोग वाराणसी जाते हैं। ऐसे में प्रदेश में भी मतदान पर असर पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि मैं खुद हर साल वाराणसी जाता हूं, लेकिन 14 फरवरी को मतदान की तारीख होने के कारण यह संभव नहीं हो सकेगा।
कर्णवाल के अलावा अलावा कुछ और नेता और सामाजिक कार्यकर्ता भी ऐसी मांग कर रहे हैं कि पंजाब की तरह उत्तराखंड में भी मतदान की तारीख आगे बढ़ाने पर विचार किया जाए।
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मौसम भी बना बड़ी वजह
दूसरी ओर समाज के विभिन्न वर्गों से भी अलग-अलग वजहों से मतदान की तिथि आगे बढ़ाने की मांग उठ रही है। इन कारणों में सबसे प्रमुख कारण मौसम उभरकर सामने आ रहा है, तो पलायन को लेकर भी एक चिंता है।
दरअसल उत्तराखंड विधानसभा के पूर्व सचिव सेवानिवृत जगदीश चंद्र कहते हैं कि उत्तराखंड में फरवरी में उच्च हिमालयी क्षेत्रों में ठंड और बर्फबारी के हालात को देखते हुए चुनाव आयोग को मतदान तिथि बढ़ाने पर विचार करना चाहिए।
वहीं पर्यावरणविद कल्याण सिंह रावत के मुताबिक सीमांत जिलों जैसे चमोली, पिथौरागढ़, उत्तरकाशी में कई मतदान केंद्र हाई एल्टीटयूड वाले एरिया में हैं। वहीं फरवरी में कई इलाकों में बर्फ जम जाती है ऐसे में यातायात से लेकर कई दूसरी दिक्कतें खड़ी हो जाती है। ऐसे में इसका सीधा असर मतदान प्रतिशत पर पड़ सकता है।
इतनी आगे बढ़ाई जाए मतदान तिथि
कल्याण सिंह रावत का कहना है कि आयोग को मतदान तिथि मार्च के पहले हफ्ते तक खिसका देना चाहिए। पिछले कुछ दिनों से सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज संस्था के प्रमुख अनूप नौटियाल भी इस तरह की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मौसम और अन्य वजहों के चलते चुनाव आयोग को 27 फरवरी से मार्च के शुरुआती दिनों में मतदान की तारीख तय करनी चाहिए।