योगी क्या फिर बनेंगे सीएम 15 साल बाद यूपी ने किसी सीएम ने विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। इसी तरह लंबे समय बाद पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के रूप में कोई नेता चुनावी मैदान में था। अब सवाल यह है कि पिछला प्रदर्शन दोहरा पाने में नाकाम रही भाजपा सरकार का प्रतिनिधित्व क्या फिर से योगी आदित्यनाथ को मिलेगा।
अखिलेश का जारी रहेगा अभियान या विराम सपा का भविष्य अब इस पर निर्भर करेगा कि वह सदन में विपक्ष की भूमिका के अलावा क्या सड़क पर संघर्ष के लिए वह तैयार है। क्या उसकी वही आक्रामक शैली रहेगी जिसके लिए मुलायम के जमाने में सपा जानी जाती थी। सबसे बड़ी यह भी है कि क्या अखिलेश यादव यूपी सदन में रहना चाहेंगे या फिर अब तक की परंपरा निभाते हुए सांसद ही बने रहेंगे।
कायम रहेगी जयंत अखिलेश की जोड़ी रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी का पहला चुनाव था जो उनके पिता रालोद नेता चौधरी अजित सिंह के निधन के बाद हुआ। पहली बार जयंत ने पार्टी की नीति-रीति और निर्णय से लेकर प्रचार तक का जिम्मा उठाया। 2017 में रालोद सिर्फ एक सीट जीती थी। इस बार उसे कम से कम 9 सीटें मिल रही हैं। सवाल है क्या अखिलेश यादव के साथ उनका गठबंधन आगे भी बना रहेगा या साथ छूट जाएगा।
प्रियंका हांकती रहेंगी कांग्रेस की गाड़ी कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के नेतृत्व में यूपी में कांग्रेस को अब तक सबसे बड़ी हार मिली है। उन्होंने पहली बार यूपी में कांग्रेस की गाड़ी खुद हांकी है। कांग्रेस की सीटें सात से घटकर दो रह जाने का अनुमान है। खुद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष हार गए हैं। ऐसे में यह जानने में सभी की दिलचस्पी होगी कि क्या भविष्य में भी कांग्रेस विधानसभा चुनावों की तरह जमीनी लड़ाई लड़ती रहेगी।
मायावती में बचा है कितना दमखम बसपा की अब तक के इतिहास में यूपी में सबसे करारी हार मिली है। मायावती अभी किसी भी सदन की सदस्य नहीं हैं। उनकी पार्टी को सिर्फ 1 सीटें ही मिलने की उम्मीद है। ऐसे में वह न तो राज्यसभा में जा सकती हैं या विधान परिषद सदस्य बन सकती हैं। चुनाव नतीजे से एक दिन पहले उन्होंने पार्टी में अपने भतीजे और भाई को बड़ी भूमिका सौंपी है। लोकसभा चुनाव लड़ाई काफी कठिन होने वाली है। मुस्लिम और दलित मायावती से दूर हो चुके हैं। अब आगे की उनकी राजनीति क्या होगी इस पर सभी की निगाहें हैं।