यह भी पढ़े : आखिर बीएसपी सुप्रीमो मायावती को क्यों कहा जाता है यूपी की परफेक्ट वीमेन पॉलिटिशन एकाएक ले ली कल्याण सिंह की जगह 21 फरवरी 1998 को यूपी में तब नया इतिहास लिखा गया जब मायावती जनता दल, किसान कामगार पार्टी, लोकत्रांतिक कांग्रेस, बसपा और अन्य दलों के नेताओं के साथ राजभवन पहुंचीं। उन्होंने राज्यपाल रोमेश भंडारी के कहा हम कल्याण सिंह सरकार के परिवहन मंत्री जगदंबिका पाल को मुख्यमंत्री के रुप में अपना समर्थन देते हैं।
यह भी पढ़े : ऐसा मुख्यमंत्री जिसके दांव से BJP को उबरने में लगे 14 साल, गुरु को ही दिखाया पहला दांव राज्यपाल ने नहीं मानी कल्याण सिंह की बात कुर्सी पर खतरा भाप कल्याण राजभवन पहुंचे और बहुमत साबित करने का मौका मांगा। लेकिन 21 फरवरी की रात ही कल्याण सिंह सरकार को बर्खास्त कर दिया गया। और जगदंबिका पाल को नया मुख्यमंत्री नियुक्त कर दिया गया। नरेश अग्रवाल उप मुख्यमंत्री बने।
यह भी पढ़े : यूपी का एक ऐसा मुख्यमंत्री जो इस्तीफा देने के बाद रिक्शे से गए थे घर हाईकोर्ट के आदेश पर बहाल हुई कल्याण सरकार अगले दिन अटल बिहारी वाजपेयी राज्यपाल रोमेश भंडारी के खिलाफ स्टेट गेस्ट हाउस में आमरण अनशन पर बैठ गए। इसी दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गयी। कोर्ट ने राज्यपाल के फैसले को असंवैधानिक करार करते हुए कल्याण सिंह की सरकार को दोबरा बहाल कर दिया।
यह भी पढ़े : पैराशूट महिला जो बनीं यूपी की मुख्यमंत्री, सख्त निर्णयों के लिए थीं विख्यात यूपी में एक साथ थे दो मुख्यमंत्री जगदंबिका पाल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए। 24 फरवरी को फैसला आया 48 घंटे के अंदर कंपोजिट फ्लोर टेस्ट कराया जाए और नतीजे आने तक कल्याण सिंह और जगदंबिका पाल दोनों के साथ मुख्यमंत्री की तरह व्यवहार हो। हालांकि, दोनों को नीतिगत फैसला लेना का कोई अधिकार नहीं था।
यह भी पढ़े : यूपी का ऐसा सीएम जो चाय-नाश्ते का पैसा भी भरता था अपनी जेब से कंपोजिट फ्लोर टेस्ट में हारे जगदंबिका 26 फरवरी को दोनों ही मुख्यमंत्रियों ने अपना अपना विश्वात मत पेश किया। कल्याण को 225 वोट और जगदंबिका पाल को 196 वोट मिले। कल्याण सिंह फिर से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए।