केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दुनिया भर में हिंदी भाषा को मजबूत करने की आवश्यकता को रेखांकित किया और कहा कि लोकतंत्र तभी सफल हो सकता है जब प्रशासन की भाषा स्वभाषा हो। वाराणसी में अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन में बोलते हुए, शाह ने कहा कि उन्हें गुजराती से ज्यादा हिंदी पसंद है और देश भर में हिंदी और अन्य स्थानीय भाषाओं के बीच कोई संघर्ष नहीं है।
शाह ने कहा, “स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के तहत, मैं देश के सभी लोगों से एक लक्ष्य को याद करने का आह्वान करना चाहता हूं, जिसे हमने याद किया था, वह था स्वभाषा का, और इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाना।” इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे।
सावरकर नहीं होते तो इंग्लिश पढ़ रहे होते “सावरकर नहीं होते तो आज हम अंग्रेजी ही पढ़ रहे होते” अमित शाह ने कहा कि वीर सावरकर नहीं होते तो आज हम अंग्रेजी ही पढ़ रहे होते। उन्होंने कहा कि सावरकर ने ही हिंदी शब्दकोश बनाया था, अंग्रेजी हम पर थोपी गई थी। उन्होंने कहा कि हिंदी के शब्दकोश के लिए काम करना होगा और इसे मजबूत करना होगा।
हिन्दी को लेकर भ्रम फैलाए गए
हिंदी भाषा को लेकर विवाद पैदा करने की कोशिश की गई थी, लेकिन वह समय अब समाप्त हो गया है। उन्होंने दुनिया भर में हमारी भाषाओं का प्रचार करने के लिए गर्व के साथ काम करने के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को भी श्रेय दिया। इस कार्यक्रम में यह भी निर्णय लिया गया कि अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन को राष्ट्रीय राजधानी से बाहर ले जाया जाएगा। “हमने 2019 में यह निर्णय लिया था, लेकिन कोविड के कारण इसे लागू नहीं कर सके। आज मुझे खुशी है कि आजादी के अमृत महोत्सव में यह नई शुभ शुरुआत होने जा रही है।
हमारा गौरव है हिन्दी अमित शाह ने कहा कि, प्रधानमंत्री मेादी ने कहा है कि अमृत महोत्सव, देश को आजादी दिलाने वाले लोगों की स्मृति को पुनः जीवंत करके युवा पीढ़ी को प्रेरणा देने के लिए तो है ही, ये हमारे लिए संकल्प का भी वर्ष है। 2014 के बाद मोदी जी ने पहली बार मेक इन इंडिया और अब पहली बार स्वदेशी की बात करके, स्वदेशी को फिर से हमारा लक्ष्य बनाकर आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि, काशी भाषा का गौमुख है, भाषाओं का उद्भव, भाषाओं का शुद्धिकरण, व्याकरण को शुद्ध करना, चाहे कोई भी भाषा हो, काशी का बड़ा योगदान है।