जानिए क्या है राजनीतिक विश्लेषकों की राय
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार परिदृश्य कुछ बदला हुआ है। फिर भी पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों का अगले आम चुनाव पर असर पड़े, न पड़े लेकिन एक बात साफ है कि देश की सियासी तस्वीर जरूर बदली हुई नजर आ सकती है। कांग्रेस की अगुवाई में 28 पार्टियों वाला ‘इंडिया’ गठबंधन आकार ले चुका है और चुनाव परिणामों के बाद इसकी गतिविधियां भी बढ़ेगी, वहीं केंद्र की भाजपानीत एनडीए सरकार भी परिणामों के अनुरूप खुद को ‘चुनावी मोड’ में डालेगी।
लोकतंत्र का उत्सवः चुनाव नतीजों से पहले ही लगाए जाने लगे कयास
लोकसभा में पांच राज्यों की हिस्सेदारी
राजस्थानः कुल सीटेंः 25, भाजपा-24, आरएलपी-01
मध्यप्रदेशः कुल सीटेंः 29, भाजपा-28, कांग्रेस-01
छत्तीसगढ़ः कुल सीटेंः 11, भाजपा-09, कांग्रेस-02
तेलंगानाः कुल सीटेंः 17, बीआरएस-09, भाजपा-04, कांग्रेस-03,एआइएमआइएम-01
मिजोरमः कुल सीटः 01, मिजो नेशनल फ्रंट-01
(2019 के चुनाव के आधार पर)
एनडीए बनाम इंडिया
भाजपा जीती तो… लगेगी केंद्रीय योजनाओं पर मुहर
1-विधानसभा चुनाव बीजेपी जीती तो ब्रांड मोदी और मजबूत होगा
2-केंद्र की जनकल्याणकारी योजनाओं पर लगेगी मुहर
3-हार से हताश विपक्ष में हो सकता है बिखराव
4- कर्नाटक, हिमाचल में हार के बाद निराश कैडर को मिलेगी ऊर्जा
5 -आम चुनाव में जनादेश पक्ष में होने का नैरेटिव बनाने में भाजपा को होगी आसानी
6 – स्थानीय चेहरा घोषित किए बगैर चुनाव जीतने की रणनीति पर आगे भी चलेगी पार्टी
7 – लोकसभा चुनाव में जनता के लिए होगी लोकलुभावन वादों की बौछार
कांग्रेस जीती तो… बढ़ेगी ‘इंडिया’ में अहमियत
1-हिंदी बेल्ट में चुनाव जीतने से देश की राजनीति में कांग्रेस की बढ़ेगी अहमियत
2-पार्टी के बाहर भी बढ़ेगा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का कद, राहुल की बढ़ेगी स्वीकार्यता
3-गठबंधन के भविष्य पर आशंकाएं समाप्त होने के साथ अन्य दल भी शामिल होने को हो सकते हैं आतुर
4-पीएम मोदी का विकल्प कौन वाला प्रश्न चिह्न मिटाने के हो सकते हैं प्रयास
5-गठबंधन में सीट शेयरिंग में बढ़ सकती है कांग्रेस की बार्गेनिंग पावर
6-यदि कांग्रेस की सरकार बनती है तो अन्य राज्यों में बढ़ेगी कांग्रेस की मजबूती
7-विधानसभा की तर्ज पर गारंटी कार्यक्रमों को लोकसभा चुनाव में भी आजमाया जा सकता है
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बीआरएस की तय होगी दिशा
राष्ट्रीय राजनीति पर असर तेलंगाना के नतीजों का भी रहेगा। वहां सत्ता की हैट्रिक लगाने की कोशिश कर रहे बीआरएस के के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) ‘गैर कांग्रेस, गैर भाजपा’ गठबंधन की बात करते रहे हैं। यदि वह सरकार नहीं बना पाए तो अपनी ये धारणा छोड़ एनडीए की तरफ आकृष्ट हो सकते हैं और चुनाव जीत गए तो अपनी पार्टी को राष्ट्रीय फलक पर फैलाने की उनकी कोशिशें तेज हो जाएंगी। आम चुनाव में केसीआर एनडीए और ‘इंडिया’ दोनों से अपने हिसाब से बार्गेनिंग करने की स्थिति में होंगे। हार-जीत का असर आम चुनाव में ओडिशा में बीजेडी और आंध्रप्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस के झुकाव पर भी दिखेगा। अभी दोनों दल परोक्ष रूप से राष्ट्रीय राजनीति में एनडीए का समर्थन करते नजर आते हैं।