मोहनलाल बाकलीवाल इससे पहले वर्ष 1957 और 1962 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज कर चुके थे। वर्ष 1962 में उन्होंने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी विश्वनाथ तामस्कर यादव को हराया था, लेकिन वर्ष 1967 में बदले समीकरण में कांग्रेस ने उनसे किनारा कर लिया और इससे पहले पराजित विश्वनाथ तामस्कर यादव को प्रत्याशी बना दिया। वर्ष 1967 का चुनाव इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण रहा कि क्षेत्र में लगातार जीत दर्ज कर रहे कांग्रेस के प्रत्याशी के सामने इस बार किसी राजनीतिक दल ने प्रत्याशी नहीं उतारा। केवल निर्दलीय प्रत्याशियों ने चुनौती दी। इससे पहले तक प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, रिपब्लिकन पार्टी व अखिल भारतीय राम राज्य पार्टी की ओर से भी चुनावों में प्रत्याशी उतारे जाते थे।
34 हजार मतों से हारे बाकलीवाल
चुनाव में मुख्य मुकाबला दलबदल कर कांग्रेस में आए विश्वनाथ यादव तामस्कर और कांग्रेस से टिकट कटने के बाद निर्दलीय उतरे सांसद मोहनलाल बाकलीवाल के बीच ही रहा। चुनाव में तामस्कर को 1 लाख 8 हजार 498 मत मिले, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी बाकलीवाल के खाते में 74 हजार 180 मत आए। इस तरह तामस्कर 34 हजार 318 मतों से जीत दर्ज करने में सफल रहे। इनके अलावा निर्दलीय आर देशपांडे भी 43 हजार 9, रामकृष्ण 23 हजार 685 और गौतमानंद 13 हजार 795 मत प्राप्त करने में सफल रहे।