इस दौरान टीम ने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जिले में ऐसे कई स्कूल हैं, जहां बच्चों की संख्या अधिक है और वहां पर एक ही शिक्षक को तैनात किया गया है। जबकि कई ऐसे स्कूल हैं, जहां छात्र संख्या काफी कम है और वहां दो-दो शिक्षकों को रखा गया है। ऐसी ही स्थिति प्राथमिक विद्यालय रामपुर की है, जहां दो शिक्षक तैनात हैं और छात्रों की संख्या महज तीन है। इसके साथ ही प्राथमिक विद्यालय बेडूबगड में भी छात्र संख्या मात्र तीन है।
वहीं प्राथमिक विद्यालय अगस्त्यमुनि में 36 छात्र पंजीकृत हैं, जिनमें 25 छात्र विद्यालय में उपस्थित थे। आयोग के सदस्य वाचस्पति सेमवाल ने कहा कि जिन स्कूलों की छात्र संख्या अधिक है, वहां पर दो से तीन अध्यापकों की तैनाती जरूरी है और जहां गिनती शून्य के समान है, वहां एक छात्र से काम चलाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी केन्द्रों का रख-रखाव भी होना जरूरी है। साथ ही जिन स्थानों पर भोजन बनाया जा रहा है, वहां पर सुव्यवस्थित ढंग से खाना पकाया जाना चाहिए। इस मौके पर जिला कार्यक्रम अधिकारी हिमांशु बडोला, जिला शिक्षा अधिकारी के प्रतिनिधि और सीआरसी विक्रम सिंह झिंक्वाण भी मौजूद थे।