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Maratha reservation: मराठा आरक्षण अभियान को बड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्वेशन में 50% सीमा रखी बरकरार

Maratha reservation: सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण पर फैसला देते हुए साफ कर दिया है कि आरक्षण के लिए 50 फीसदी की तय सीमा का उल्लंघन नहीं किया जा सकता है। पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने कहा कि मामले में इंदिरा साहनी केस पर आया फैसला सही है।

May 05, 2021 / 02:15 pm

Dhirendra

supreme court Maratha reservation
Maratha reservation: मराठा आरक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने अहम फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण पर फैसला देते हुए साफ कर दिया है कि आरक्षण के लिए 50 फीसदी की तय सीमा का उल्लंघन नहीं किया जा सकता है। पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने कहा कि मामले में इंदिरा साहनी केस पर आया फैसला सही है। इंदिरा साहनी के फैसले पर नए सिरे से पुनर्विचार करने की जरूरत नहीं है। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि मराठा समुदाय को शिक्षा और नौकरियों में 50% की सीमा पार करके आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी साफ कर दिया कि मराठा समुदाय के लोग शैक्षिक और सामाजिक तौर पर इतने पिछड़े नहीं हैं कि उन्हें आरक्षण के दायरे में लाया जाए।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने फैसले में सरकारी नौकरियों ( Government jobs ) में मराठाओं के लिए आरक्षण के फैसले को बरकरार रखा था। आज इस मुद्दे पर न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ फैसला सुनाएगी। सर्वोच्च अदालत ने 26 मार्च को मराठा आरक्षण वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
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पांच न्यायाधीशों की पठी ने 15 मार्च को शुरू की थी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) इस मुद्दे पर विचार गौर करेगा कि क्या 1992 के इंदिरा साहनी फैसले पर बड़ी पीठ द्वारा पुनíवचार करने की जरूरत है या नहीं। इंदिरा साहनी फैसले में आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत निर्धारित की गई थी। संविधान पीठ ने मामले में सुनवाई 15 मार्च को शुरू की थी। उच्च न्यायालय ने जून 2019 के कानून को बरकरार रखते हुए कहा था कि 16 प्रतिशत आरक्षण उचित नहीं है। रोजगार में आरक्षण 12 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए तथा नामांकन में यह 13 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।
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दरअसल, बांबे हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाएगा। इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य में शिक्षण संस्थानों ( Educational Institutions ) और सरकारी नौकरियों में मराठाओं के लिए आरक्षण के फैसले को बरकरार रखा था। बता दें कि महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण एक सियासी मुद्दा है। सभी राजनीतिक दल वोट बैंक खिसकने के डर दे मराठा आरक्षण के पक्ष में हैं। लेकिन मराठा आरक्षण की वजह से अब एक संवैधानिक प्रश्न उठ खड़ा हुआ है। इस मामले में याची का तर्क है कि संवैधानिक प्रावधानों के तहत 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण गैर कानूनी है।

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