गांव में न पढ़ने का माहौल था इंटरनेट की उपलब्धता (Success Story of Tribal Student)
सनातन प्रधान ओडिशा में स्थित ताड़ीमाहा नामक सुदूर गांव से ताल्लुक रखते हैं। इस गांव के युवाओं के पास संसाधन की कमी है। इनके पास करियर बनाने के बहुत कम मौके होते हैं। सच कहें तो न के बराबर। इस गांव में इटरनेट की उपलब्धता भी नहीं है। लेकिन फिर भी सनातन प्रधान ने अपनी राह खुद बनाने की ठानी। सनातन के पिता कनेश्वर प्रधान छोटे और गरीब किसान हैं। ऐसे में वे अपने बेटे के लिए किसी कोचिंग की फीस भी जुटा पाने में सक्षम नहीं थे। किताबें उधार लेकर शुरू की नीट की तैयारी (NEET UG Preparation)
सनातन की 10वीं तक की पढ़ाई गांव के ही सरकारी स्कूल से हुई है। इसके बाद वे 12वीं की पढ़ाई के लिए बरहमपुर के खलीकोट जूनियर कॉलजे चले गए। 12वीं की पढ़ाई के बाद NEET UG की तैयारी के लिए वे अपने गांव लौट गए। यहां उन्होंने उधार की किताबों से सेल्फ स्टडी शुरू की। किताबों का मसला हल हुआ था इंटरनेट की समस्या सामने आई। दरअसल, सनातन के गांव में इंटरनेट कनेक्शन नहीं है। इंटरनेट के लिए सनातन प्रतिदिन 3 किमी ट्रेकिंग करके पास की पहाड़ियों पर चढ़ते थे। वे कुछ घंटे उन्हीं पहाड़ियों पर ऑनलाइन पढ़ाई करते थे और स्टडी मटीरियल डाउनलोड करते थे।
इस कॉलेज से कर रहे हैं पढ़ाई
मुश्किलें बहुत थी लेकिन छात्र ने हार नहीं मानी। अपने मेहनत और दृढ़ निश्चय के दम पर उन्होंने पहले प्रयास में नीट परीक्षा पास कर ली। नीट की प्रवेश परीक्षा पास करके उन्होंने ये साबित कर दिया कि सच्ची मेहनत और दृढ़ संकल्प से हर मुश्किलों का हल निकाला जा सकता है। सनातन अभी MKCG मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रहे हैं। अपनी डिग्री हासिल करने के बाद वे रिमोट एरिया में बसे लोगों का इलाज करना चाहते हैं।