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Success Story: लालटेन में पढ़ाई करते थे बिहार के ‘बाबू’, बिना किसी कोचिंग के पहले प्रयास में क्रैक किया UPSC

Success Story Of IAS Anshuman Raj: आईएएस अंशुमान का जन्म बिहार के बक्सर जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था। उनकी 10वीं तक की पढ़ाई गांव के ही जवाहर नवोदय विद्यालय से हुई थी।

नई दिल्लीSep 08, 2024 / 03:46 pm

Shambhavi Shivani

Success Story
Success Story Of IAS Anshuman Raj: यूपीएससी सीएसई परीक्षा काफी कठिन होती है। हालांकि, हमारे बीच एक से एक छात्र हैं, जो कई परेशानियों के बाद भी इस परीक्षा को पास कर लेते हैं। कुछ ऐसी ही कहानी है, आईएएस अधिकारी अंशुमन राज की। अंशुमन राज के पास कोचिंग जाने के पैसे नहीं थे। यही नहीं पढ़ाई करने के लिए लैंप का सहारा लेना पड़ता था। लेकिन वे अपनी परिस्थितियों के सामने घुटने टेकने वालों में से नहीं थे। 
IAS

लैंप में की है पढ़ाई (IAS Anshuman Raj)

आईएएस अंशुमान (IAS Anshuman Raj) का जन्म बिहार के बक्सर जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था। उनकी 10वीं तक की पढ़ाई गांव के ही जवाहर नवोदय विद्यालय से हुई थी। अंशुमान जब 10वीं कक्षा में थे तो वे मिट्टी के तेल वाले लैंप में पढ़ाई करते थे। इसके बाद उन्होंने 12वीं कक्षा की पढ़ाई रांची स्थित जवाहर विद्यालय से की। 12वीं की पढ़ाई के बाद उन्होंने ग्रेजुएशन किया और फिर यूपीएससी की तैयारी शुरू की। वे हमेशा से ही मेहनती थे और सिविल सेवा में जाना चाहते थे। 
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पहले प्रयास में बिना कोचिंग के पाई सफलता (Success Story)

अन्य कैंडिडेट्स की तरह अंशुमान ने यूपीएससी कोचिंग का सहारा नहीं लिया। साधारण परिवार से आने वाले अंशुमान को खुद की मेहनत पर भरोसा था। उन्होंने पहले ही प्रयास में यूपीएससी सीएसई परीक्षा पास कर ली IRS का पद हासिल किया। हालांकि, उन्हें IAS से कम कुछ भी मंजूर नहीं था। हालांकि, दोबारा परीक्षा देने के बाद उन्हें दो बार असफलताओं का सामना करना पड़ा। वर्ष 2019 में अपने चौथे प्रयास में उन्होंने AIR 107वीं के साथ कामयाबी हासिल की। 
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कम संसाधन में पास की जा सकती है परीक्षा

अंशुमान का कहना है कि गांव में रहकर भी यूपीएससी की तैयारी (UPSC Preparation) की जा सकती है। इसके लिए बस अच्छे इंटरनेट कनेक्शन की जरूरत होती है। अगर एक बार कैंडिडेट दृढ़ निश्चय कर ले तो सीमित संसाधनों में भी परीक्षा पास की जा सकती है। बता दें, IAS अंशुमान का कहना है कि उन्होंने अपने पिछले तीन प्रयासों की तैयारी गांव में रहकर ही की थी। 

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