पिता की चाहत थी कि बेटा शिक्षक बने (Success Story)
धीरेन गुजरात (Gujrat News) के पाटन जिले से तालुक्क रखते हैं। उनके पिता चाहते थे कि बेटा सरकारी स्कूल के शिक्षक बने और घर की खराब आर्थिक स्थिति को ठीक करने में हाथ बंटाए। पिता के इस सपने को पूरा करने में धीरेन ने कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने प्राइमरी शिक्षक प्रमाणपत्र (पीटीसी), केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (CTET) और केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस), सभी परीक्षाएं पास की। लेकिन किस्मत ने उनके लिए कोई और ही रास्ता चुना था। शायद यही कारण है कि तमाम परीक्षाएं पास करने के बाद भी उनकी नियुक्ति कहीं नहीं हुई। हार कर उन्होंने छोटी-मोटी दूसरी नौकरियां शुरू की। हालांकि, परिवार को इससे कुछ खास मदद नहीं मिली। दक्षिण के शहरों में पहुंचाया गधे का दूध (Success Story)
इधर, धीरेन के पिता ने कहीं पढ़ा की दक्षिण के राज्यों में गधे के दूध की बड़ी मांग है तो उन्होंने अपने बेटे से इसका बिजनेस करने को कहा। पहले तो धीरेन चौंक गए लेकिन उन्होंने फिर ऑनलाइन इसके बारे में पता किया और करीब 42 गधों के साथ अपने जिले में डंकी फार्म शुरू किया। धीरेन के पास डंकी फार्म (Donkey Farm) शुरू करने का कोई व्यावहारिक प्रशिक्षण नहीं था। सिर्फ पिता के हौसले और आत्मविश्वास की बदौलत उन्होंने साल 2022 में अपना डंकी फॉर्म शुरू किया। शुरुआत में गुजरात में भी गधे के दूध की मांग थी लेकिन उन्होंने कर्नाटक और केरल सहित दक्षिण भारत की कंपनियों में इसे पहुंचाना शुरू किया।
ई-कॉमर्स से बिजनेस को मिला बढ़ावा (Success Story)
शुरुआत में धीरेन को काफी घाटा हुआ क्योंकि दूध को सुरक्षित रखने या उसे पाउडर में बदलने की तकनीक उनके पास नहीं थी। एक साल लगते-लगते उन्होंने इस काम को करने वाली कंपनी से तालमेल बना लिया। एक वो दिन था और एक आज का दिन है, धीरेन ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अब सफलता (Success Story) उनके कदम चूम रही है। ई-कॉमर्स की मदद से उनके बिनजेस (Success Story Of Businessman) को और बढ़ावा मिला। आज उनके पास हलारी नस्ल की करीब 40 गधी हैं, जिनके दूध से धीरेन तीन लाख रुपये तक महीने की कमाई कर रहे हैं। उन्होंने मवेशियों की देखभाल के लिए तीन-चार लोग रख हैं। इस तरह वो न सिर्फ खुद का घर चला रहे हैं बल्कि और लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं।
बहुत काम का है गधे का दूध
बता दें, गधे के दूध में रोग प्रतिरोधी गुण पाया जाता है इसलिए इसका इस्तेमाल कई मेकअप प्रोडक्ट और दवाइयां बनाने में किया जाता है। दूध से एलर्जी वाले नवजातों के लिए यह किसी रामबाण से कम नहीं होता। ऐसे में भारत ही नहीं चीन, मलेशिया और तुर्की जैसे देशों में भी इसकी भारी मांग है।