विदेशी यूनिवर्सिटी में पढ़ाई रोजगार दिलाने में सहायक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 79% छात्रों का मानना है कि विदेशी यूनिवर्सिटीज में पढ़ाई ( Study abroad ) करने से प्रतिष्ठित संगठनों में रोजगार पाने में सहायक साबित होता है। यानि रोजगार की संभावना भारतीय विश्वविद्यालयों के छात्रों की तुलना में अधिक होता है। इसके अलावा सर्वे में 71% छात्रों ने निजी तौर पर विदेशी विश्वविालयों में पढ़ने के बदले वहां का दौरा करना ज्यादा पसंद किया। ताकि एक—दूसरे की संस्कृति, इतिहास और अन्य पहलुओं को वे समझ सकें।
बाहर जाकर पढ़ाई करने वालों में महाराष्ट्र के छात्र सबसे ज्यादा विदेशों में पढ़ाई ( Study abroad ) करने के इच्छुक उम्मीदवारों की सबसे अधिक संख्या महाराष्ट्र से 16.31% है। वहीं दक्षिण भारतीय राज्यों यानी आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में आधे से अधिक प्रतिभागियों में 52.19% शामिल हैं।
43% छात्रों के लिए IA, ML, BD और DS पहली पसंद सर्वे के दौरान 43% काउंसलर और मेंटर्स ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (IA), मशीन लर्निंग (ML), बिग डेटा ( BD ) और डेटा साइंस ( DS ) को बतौर करियर पसंद किया। 17% छात्रों ने मीडिया और विज्ञापन तो 22% छात्रों ने एमआईएम, एमईएम और एमबीए में अपना करियर बनाने की इच्छा जाहिर की। 90% से अधिक परामर्शदाताओं ने विदेश में किसी भी विषय में अध्ययन के इच्छुक छात्रों के लिए नई भाषा सीखने को सबसे महत्वपूर्ण कौशल के रूप में पसंद किया।
60% छात्रों को लेना पड़ता है एजुकेशन लोन सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक 57% छात्रों और 41% सलाहकार मानते हैं कि आर्थिक कमजोरी विदेश में अध्ययन योजना की राह में सबसे बड़ी बाधा साबित होती है। 60% से कुछ अधिक छात्रों ने बताया कि उन्हें विदेशी विश्वविद्यालय का खर्च वहन करने के लिए एजुकेशन लोन लेना पड़ता है।