पीएम मोदी ने कहा कि पिछले एक साल के दौरान राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर अमल को लेकर कई बड़े फैसले लिए गए हैं। देश का युवा वर्ग बदलाव चाहता है। नई शिक्षा नीति पर अमल से देशभर में ऐतिहासिक बदलाव को बढ़ावा मिलेगा। पीएम मोदी ने कहा कि बीते एक वर्ष में देश के आप सभी महानुभावों, शिक्षको, प्रधानाचार्यों, नीतिकारों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को धरातल पर उतारने में बहुत मेहनत की है। भविष्य में हम कितना आगे जाएंगे, कितनी ऊंचाई प्राप्त करेंगे, ये इस बात पर निर्भर करेगा कि हम अपने युवाओं को वर्तमान में कैसी शिक्षा दे रहे हैं।
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21वीं सदी के युवाओं को एक्सपोजर चाहिएकोरोना महामारी के दौर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर चरणबद्ध तरीके से काम हो रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करना आजादी के अमृत महोत्सव का प्रमुख हिस्सा बन गया है। इतने बड़े महापर्व के बीच राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत आज शुरू हुईं योजनाएं नए भारत के निर्माण में बहुत बड़ी भूमिका निभाएंगी। पीएम मोदी ने कहा कि मैं मानता हूं भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति राष्ट्र निर्माण के महायज्ञ में बड़े फैक्टर्स में से एक है। 21वीं सदी का युवा अपनी व्यवस्थाएं, अपनी दुनिया खुद अपने हिसाब से बनाना चाहता है। इसलिए, उसे एक्सपोजर चाहिए, उसे पुराने बंधनों, पिंजरों से मुक्ति चाहिए।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति युवाओं को ये विश्वास दिलाती है कि देश अब पूरी तरह से उनके साथ है, उनके हौसलों के साथ है। जिस आर्टिफिसियल इंटेलीजेंस ( AI ) के प्रोग्राम को अभी लॉंच किया गया है, वो भी हमारे युवाओं को future oriented बनाएगा, AI driven economy के रास्ते खोलेगा।
एनईपी की पहली वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स और नेशनल डिजिटल एजुकेशन आर्किटेक्चर जैसे कई कार्यक्रमों को लॉन्च किया। उन्होंने कहा कि आधुनिक टेक्नोलॉजी पर आधारित Academic Bank of credit सिस्टम से इस दिशा में विद्यार्थियों के लिए क्रांतिकारी बदलाव आने वाला है।
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युवाओं को मिली इस मजबूरी से मुक्तिपीएम ने कहा कि अब हर युवा अपनी रुचि और सुविधा से कभी भी एक स्ट्रीम का चयन कर सकता है और छोड़ सकता है। Multiple entry & exit की व्यवस्था ने विद्यार्थियों को एक ही श्रेणी और एक ही कोर्स में जकड़े रहने की मजबूरी से मुक्त कर दिया है। आज बन रही संभावनाओं को साकार करने के लिए हमारे युवाओं को दुनिया से एक कदम आगे होना पड़ेगा। हेल्थ, डिफेंस, इनफ्रास्ट्रक्चर, टेक्नालजी, देश को हर दिशा में समर्थ और आत्मनिर्भर होना होगा। आत्मनिर्भर भारत का ये रास्ता स्किल डेवलपमेंट और तकनीक से होकर जाता है।
पीएम मोदी ने कहा कि आज सभी को यह जानकारी देते हुए खुशी हो रही है कि 8 राज्यों के 14 इंजीनियरिंग कॉलेज, 5 भारतीय भाषाओं- हिंदी-तमिल, तेलुगू, मराठी और बांग्ला में इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू करने जा रहे हैं। इंजीनिरिंग के कोर्स का 11 भारतीय भाषाओं में ट्रांसलेशन के लिए एक टूल भी develop किया जा चुका है। भारतीय साइन लैंग्वेज को पहली बार एक भाषा विषय यानि एक Subject का दर्जा प्रदान किया गया है। अब छात्र इसे एक भाषा के तौर पर भी पढ़ पाएंगे। इससे भारतीय साइन लैंग्वेज को बहुत बढ़ावा मिलेग। हमारे दिव्यांग साथियों को भी इससे बहुत मदद मिलेगी।