आपकी अंगुलियों पर हमेशा कुछ न कुछ नमी रहती है। जब आप बर्फ की ठंडी ट्रे को छूते हैं, तब आपकी अंगुलियों की नमी जम जाती है। अंगुलियों का दबाव जमी हुई नमी को ट्रे में रखी बर्फ से चिपका देता है। अगर आप बर्फ की ट्रे को चाटने की कोशिश करेंगे तो जीभ चिपक जाएगी।
मैल के कण दो तरह के होते हैं, कुछ में तेल होता है और कुछ में विद्युत का चार्ज। सिर्फ पानी से धोने से कोई लाभ नहीं होता है क्योंकि ये कण हमारे शरीर और कपड़ों से कसकर चिपक जाते हैं। फिर तेल पानी में बिल्कुल भी नहीं घुलता। साबुन के परमाणुओं की संरचना ऐसी होती है कि वे तेल और मैल के कणों से जाकर चिपट जाते हैं। इसके बाद इन मैले कपड़ों को पानी से धोने से उनकी गंदगी धुल जाती है।
तेज बारिश के दौरान अपने दर्पण या कार की विंड स्क्रीन के अंदर ओर थोड़ा साबुन या डिटर्जेंट लगा दें या फि आलू का टुकड़ा घिस दें। इन सबका संबंध सतह के तनाव और संपर्क के कोण से है। आपके गुसलखाने का दर्पण असल में काफी गंदा होता है। इसीलिए उस पर जमी भाप फैल कर उसे गीला नहीं कर पाती और दर्पण पर छोटी-छोटी बूंदों के रूप में जमा हो जाती है। यानी गंदगी के कारण दर्पण और पानी के बीच संपर्क कोण बढ़ जाता है। साबुन का पानी या आलू का रस तरल की पतली सतह बनाता है और संपर्क कोण को कम कर देता है।
कागज सेल्युलोज के रेशों का बना होता है। ये रेशे आपस में चिपके होते हैं। कागज फाड़ते समय हमें रेशों के आपसी बल से कहीं अधिक बल लगाना पड़ता है। पानी की मौजूदगी में रेशों के बीच स्थिर विद्युत बल कमजोर पड़ जाता है और पानी के अणु रेशों के बीच की जगह में बहकर आ जाते हैं। इसलिए गीले कागज को फाडऩा आसान होता है।
दोनों गिलासों का वजन एक समान होगा। इसका कारण यह है कि तैरता हुआ लकड़ी का टुकड़ा अपने वजन के बराबर पानी हटा देता है। लकड़ी के टुकड़े वाले गिलास में पानी कम है लेकिन टुकड़े का वजन इस कमी को बराबर कर देता है।