कौन हैं रूबी? (NEET Topper Ruby Prajapati)
रूबी प्रजापति (Ruby Prajapati) के पिता ऑटोरिक्शा चालक हैं। वो दिल्ली के वीएमएमसी और सफदरजंग अस्पताल से एमबीबीएस कर रही हैं। वे गुजरात से ताल्लुक रखती हैं। रूबी अपने पिता, गृहिणी मां और एक बड़े भाई के साथ रहती हैं। उनका भाई स्पीच डिले डिसऑर्डर से पीड़ित है। कई मीडिया रिपोर्ट्स बताते हैं कि रूबी का एक छोटा भाई भी था, जो किसी बीमारी के कारण इस दुनिया से चला गया। कई कारणों से बनना चाहती हैं डॉक्टर
रूबी गुजरात के एक छोटे से गांव से आती हैं। वे कई कारणों से डॉक्टर बनना चाहती हैं। पहला उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होना है। वहीं दूसरा और सबसे बड़ा कारण ये है कि वे अपने गांव के लोगों की देखभाल और सहायता करना चाहती हैं। उन्होंने हमेशा से गांव में चिकित्सा सुविधाओं की कमी देखी है। यही कारण है कि वे डॉक्टर बन लोगों की मदद करना चाहती हैं।
यूट्यूबर भी हैं रूबी
एमबीबीएस की छात्रा होने के अलावा रूबी एक YouTuber भी हैं, जिनके 14.9K सब्सक्राइबर हैं। अपने चैनल के माध्यम से वे छात्रों को अपने दैनिक जीवन के बारे में बताने के साथ साथ NEET UG को क्रैक करने के टिप्स भी देती हैं। वर्ष 2018 में टीबी से ठीक होने के बाद उन्होंने NEET UG की तैयारी शुरू कर दी। वर्ष 2023 में उन्होंने चौथे प्रयास में 635 अंकों के साथ अपनी परीक्षा पास की है।
कहां से की है पढ़ाई? (Ruby Prajapati Education)
रूबी (Ruby Prajapati) ने सरकारी स्कूल से 12वीं तक की शिक्षा हासिल की। उसके बाद उन्होंने नीट की तैयारी करने का फैसला किया। लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती थी कि कोचिंग के लिए फीस कहां से जुटाए। हालांकि, उनके चाचा ने एक साल के लिए उसकी NEET UG की तैयारी का खर्च उठाया और सही मार्गदर्शन के लिए उसे एक कोचिंग संस्थान में दाखिला दिलाया।
चौथे प्रयास में हासिल की सफलता (Success Story)
पहली बार में रूबी के हाथ निराशा लगी। इसके बाद दूसरे और तीसरे प्रयास में भी बात नहीं बनी। चार प्रयासों के बाद उन्होंने आखिरकार प्रवेश परीक्षा पास कर ली। यह आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। कोचिंग के अलावा एक्स्ट्रा सपोर्ट के लिए रूबी ने ऑनलाइन क्लासेज के लिए मशहूर एक संस्थान के वीडियो की मदद ली।
गांव में पढ़ाती थीं ट्यूशन
जब रूबी नीट यूजी की तैयारी कर रही थीं तब उन्होंने अपने गांव के कुछ छात्रों को अपनी फीस और अन्य खर्चों का प्रबंधन करना सिखाया। रूबी के गांव में कोचिंग सेंटर नहीं हैं, इसलिए उन्होंने अपने गांव के उन बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया जो पढ़ने में उत्सुक थे। रूबी अब भी पढ़ाती हैं और छात्रों की मदद करती हैं। उनकी कहानी एक उदाहरण है कि कैसे हम अपने हालातों से लड़ सकते हैं।